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राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के वातावरण ‌से लगता है कि दीपावली शुरू हो गई है: CM भूपेश

रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने सम्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन से जो वातावरण ‌तैयार‌ हुआ है, उससे लग रहा है दीपावली का त्यौहार (Festival of Diwali) आज से शुरू हो गया‌ है.

Chief Minister Bhupesh Baghel
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

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Published : Oct 28, 2021, 10:07 PM IST

Updated : Oct 28, 2021, 10:51 PM IST

रायपुर: राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव (National Tribal Dance Festival) में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने सम्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन से जो वातावरण ‌तैयार‌ हुआ है, उससे लग रहा है दीपावली का त्यौहार आज से शुरू हो गया‌ है. जब त्यौहार में मेहमान आते हैं तब खुशी दोगुनी हो जाती है. यहां सात देशों से कलाकार पहुंचे हैं. वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने पूरे इत्मिनान से देखा और सरकार की योजनाओं की प्रदर्शनी भी देखी और आदिवासियों को लिए अपने राज्य में बनाई योजनाओं की जानकारी दी. कार्यक्रम के लिए राहुल गांधी (Rahul Gandhi ) ने अपना संदेश भी पहुंचाया है.

पहले आदिवासी नृत्य समारोह में राहुल गांधी भी मौजूद थे

मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां उन्होंने आदिवासी धूनों पर नृत्य किया. यहां राज्यपाल अनुसुइया उइके (Governor Anusuiya Uikey) ने भी उनके साथ नृत्य किया. ये यादें अब भी मेरी जजहन में है.

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राज्यपाल अनुसुइया उइके (Governor Anusuiya Uikey) ने संबोधित करते हुए कहा था कि इस आयोजन में मैं सभी कलाकारों का स्वागत करती हूं. इस आयोजन के लिए मैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूरी टीम को बधाई देती हूं. इतना बड़ा भव्य आयोजन किया जा रहा है. देश और दुनिया के लोग यहां पहुंच रहे हैं.

इस तरह का आयोजन देश हीं नहीं विदेश में भी नहीं होता

इसके लिए मैं सभी को बहुत बधाई देती हूं. देश में आदिवासियों की संस्कृति बहुत समृद्ध रही है. आदिवासी न्यूनतम जरूरतों में अपना जीवन यापन करते हैं. धरती को अपनी माता मानते हैं. राज्यपाल ने कहा केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर आदिवासियों की सुरक्षा कर सकते हैं. आदिवासियों को जागरूक करना चाहिए. आदिवासियों को जमीनी स्तर पर योजनाओं की जानकारी देना जरूरी है.

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इस दौरान सभी कलाकारों ने अपनी वेशभूषा के साथ नृत्य किया है. छत्तीसगढ़ के कलाकार करमा नृत्य ददरिया नृत्य करते हैं. जो मन को लुभाता है. प्रकृति और संस्कृति एक दूसरे की परस्पर सहयोगी है. आदिवासी अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व करें और अपने अधिकार पर जानकारी होने चाहिए नहीं तो विलुप्त हो जाएगी. राज्यपाल सभी कलाकारों से निवेदन किया कि पर्यटन स्थलों का घुमाव करें. इस तरह के आयोजन होते रहना चाहिए. तभी आदिवासियों की कला संस्कृति सामने आएगी और लोगों लोग जान सकेंगे.

Last Updated : Oct 28, 2021, 10:51 PM IST

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