रायपुर:मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण, लघु वनोपजों और वनौषधियों के वैल्यू एडिशन और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के युवाओं के कौशल उन्नयन के क्षेत्र में काम करने की इच्छुक गैर सरकारी संगठनों को राज्य सरकार सहयोग देगी. सीएम रविवार को अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 'पेन आईआईटी ग्लोबल ई-कॉनक्लेव' में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में इन क्षेत्रों में काम करने की काफी संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में काम करने की इच्छुक संस्थाओं का छत्तीसगढ़ में स्वागत है.
कॉन्क्लेव में राज्यसभा सांसद जयराम रमेश के साथ चर्चा करते हुए सीएम ने कहा कि राज्य के 44 प्रतिशत भू-भाग पर जंगल हैं. यह लघु वनोपजों और वनौषधियों से परिपूर्ण है. छत्तीसगढ़ में इनके अलावा फल-फूल, कृषि और उद्यानिकी फसलों का अच्छा उत्पादन होता है. उन्होंने कहा कि कोदो-कुटकी सहित अनेक ऐसे उत्पाद हैं, जिनकी पूरी दुनिया में मांग है. यदि छत्तीसगढ़ के इन उत्पादों में वैल्यू एडिशन होता है तो स्थानीय युवाओं, महिलाओं को रोजगार के अच्छे अवसर मिलेंगे और उत्पादकों को उनकी कीमत का अच्छा मूल्य मिलेगा.
मार्केटिंग में भी पेन आईआईटी संस्थाओं से सहयोग का आग्रह किया
भूपेश बघेल ने ग्लोबल ई-कॉनक्लेव में कोविड-19 संक्रमण से बचाव और रोकथाम के उपायों, लॉकडाउन के दौरान आर्थिक गतिविधियों को चलाए रखने, मनरेगा और लघु वनोपजों के संग्रहण से मजदूरों और वनवासियों को रोजगार पर चर्चा की. वहीं नक्सली चुनौती से निपटने की राज्य सरकार की रणनीति पर विस्तार से जानकारी दी.
कार्गो परिवहन की मिलेगी सुविधा
मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ के कृषि-उद्यानिकी, लघु वनोपजों और वनौषधियों के व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार ने बायर्स-सेलर्स मीट का आयोजन किया था, जिसमें कई देशों की 128 संस्थाओं ने हिस्सा लिया. राज्य सरकार ने रायपुर में कार्गो परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए केन्द्रीय उड्डयन मंत्रालय से पहल की है.
70 प्रतिशत कृषि पर निर्भर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लाख का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर होता है. इसे और बढ़ावा देने के लिए इसकी खेती का दर्जा दिया गया है. राज्य सरकार कोसा उत्पादन को भी कृषि का दर्जा देने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है. धान और गन्ना से एथेनॉल के उत्पादन के लिए प्लांट लगाने के लिए निविदा भी बुलाई गई है. प्रदेश में आज भी 70 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर हैं. प्रदेश के सभी विकासखंड में खाद्य प्रसंस्करण और वैल्यू एडिशन के लिए संयंत्र लगाने की काफी संभावना है.
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