झीरम श्रद्धांजलि दिवस से पहले सियासी घमासान रायपुर: 25 मई को झीरम नक्सली हमले की बरसी है. इस अटैक में कांग्रेस के बड़े नेताओं सहित छत्तीसगढ़ के 29 लोग मारे गए थे. बघेल सरकार के आने के बाद से हर साल, इस दिन झीरम के शहीदों को याद किया जाता है. उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है. इस बार भी 25 मई को झीरम श्रद्धांजलि दिवस मनाया जाएगा. लेकिन उससे पहले प्रदेश में इस मुद्दे पर सियासी घमासान मच गया है.
झीरम नक्सली हमले की जांच पर घमासान: सीएम भूपेश बघेल ने झीरम जांच को लेकर विपक्ष पर हमला बोला है. सीएम ने कहा कि "झीरम नक्सली हमले की जांच में विपक्ष हमेशा अड़ंगा लगाता है. एसआईटी जांच की बात करते हैं तो ये लोग कोर्ट मे चले में जाते हैं. एनआईए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में चली जाती है. हम न्याय के लिए अभी भी लड़ रहे हैं. पीएम को लिखते हैं, गृहमंत्री को लिखते हैं. ये लोग जांच नहीं होने देते हैं. महिला पहलवानों का बृजभूषण सिंह के खिलाफ लगे आरोपों का उदाहरण देते हुए सीएम ने कहा कि पॉक्सो एक्ट लगा है. उस पर जांच तो नहीं हो रही है. ऐसे में झीरम की जांच ये लोग कैसे होने देंगे. ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है. दो तीन लोगों को पकड़कर उनसे पूछताछ की जरूरत है. जो उस समय शीर्ष थे."
बीजेपी ने क्या आरोप लगाए: इस मुद्दे पर बीजेपी ने बघेल सरकार पर आरोप लगाया है कि" जब ये लोग विपक्ष में थे. तब इस नक्सली हमले की जांच की बात करते थे. दोषियों को लेकर पुख्ता सबूत होने का दावा करते थे. लेकिन सत्ता में चार साल से ज्यादा समय तक रहने के बाद भी इस मामले में जांच नहीं कराई गई है. आखिर क्या वजह है"
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कब हुआ था झीरम नक्सली हमला: 25 मई 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर झीरम में नक्सली हमला हुआ था. इस नक्सली हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व तबाह हो गया था. कांग्रेस के बड़े लीडर, जैसे विद्या चरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, नंद कुमार पटेल, योगेंद्र शर्मा, उदय मुदलियार और प्रफुल्ल शुक्ला जैसे बड़े नेता इस हमले में मारे गए थे. इस घटना को 10 साल बीत गए हैं. इस बार इसकी 10वीं बरसी मनाई जाएगी. 10 साल बीत जाने के बाद भी इस नक्सली हमले के पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिल पाया है. समय समय पर पक्ष और विपक्ष इस मुद्दे पर आपस में भिड़ते आए हैं. लेकिन इस हमले की जांच अब तक नहीं हो पाई है.