रायपुर :दिपावली के 11 दिन बाद यानी आज पूरे भारत में देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है. इसे छत्तीसगढ़ में जेठवनी नाम से भी जाना जाता है. परंपरा अनुसार आज के दिन भगवान विष्णु चार महीने के शयनकाल के बाद जागते हैं. इसी के साथ आज चतुर्मास का अंत हो जाता है. इसी अनुरूप में भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह होता है. इसके साथ ही शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.
'किसान 8 महीने पहले से करते हैं तैयारी'
आज के दिन तुलसी चौरा के आस-पास 4 गन्नों से मंडप सजाया जाता है. देवउठनी एकादशी से ही सारे मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि प्रारंभ हो जाते है. देवउठनी की तैयारी किसान 8 महीने पहले से करते हैं.
'भगवान विष्णु के चरणों की आकृति'
ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान के बाद घर के आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाई जाती हैं. इसके बाद तुलसी चौरा के पास फल, मिठाई, सिंघाड़े और गन्ना रखा जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. रात के समय घर के बाहर और पूजा स्थल पर दीपक जलाए जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु समेत सभी देवताओं की पूजा की जाती है.
शुभ मुहुर्त
पंडित अरुणेश शर्मा ज्योतिषाचार्य के अनुसार देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है. इस तिथि पर निर्जला व्रत रखना विशेष फलदाई है. तुलसी चौरा पर गन्ने का मंडप सजा कर दंपति भगवान शालिग्राम और माता तुलसी की सात फेरे लेंगे. आतिशबाजी के बीच विवाह संपन्न कर उत्सव मनाए जाएंगे.