रायपुर: क्या देश का भविष्य खतरे में है. ये सवाल इसलिए क्योंकि कोरोना काल में बच्चे अब मानसिक बीमारियों (children increased mental stress) से जूझ रहे हैं. कोरोना के चलते पिछले डेढ़ सालों से स्कूल बंद हैं. ऐसे में बच्चे घरों में ही बंद हैं. वही कोरोना संक्रमण को देखते हुए पैरंट्स बच्चों को बाहर निकलने भी नहीं दे रहे हैं, जिस वजह से बच्चों का जो मानसिक विकास होना था, वह थम सा गया है. वहीं ऑनलाइन क्लासेज, टीवी, मोबाइल गेम्स का इस्तेमाल ज्यादा करने लगे हैं, जिससे कहीं ना कहीं वह टेक्नोलॉजी एडिक्टेड हो गए हैं, जिससे उनमें चिड़चिड़ापन भी देखने को मिल रहा है.
रायपुर अकेडमी ऑफ पीडीऐट्रिक्स की अध्यक्ष डॉक्टर रिमझिम श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना काल में बच्चों में मानसिक विकार देखने को मिल रहा है. एक रिसर्च में देखने को मिला है कि बच्चों को तनाव हो रहा है. इन सबके कारण उनमें बहुत असर पड़ रहा है. खासकर वे बच्चे जो घर में अकेले रह रहे हैं, जिनके आसपास बहुत ज्यादा लोग नहीं हैं, खेलने-कूदने के लिए वह बहुत ज्यादा अकेला महसूस कर रहे हैं.
ऑनलाइन वीडियो गेम्स की लत से बच्चे हो रहे मानसिक बीमारी के शिकार, एक्सपर्ट ने जताई चिंता
डॉक्टर रिमझिम श्रीवास्तव ने बताया कि ऑनलाइन क्लास से बच्चे मोबाइल ज्यादा उपयोग कर रहे हैं. वहीं घर पर होने से वो ज्यादातर समय टीवी और कम्प्यूटर पर ज्यादा दे रहे हैं. बच्चों में अकेलापन और चिड़चिड़ेपन के लिए पैरेंट्स भी जिम्मेदार हैं. उन्होंने बताया कि माता-पिता बच्चों को समय नहीं दे रहे हैं. ऐसे में बच्चे खुद को अकेलापन महसूस करते हैं और वो मोबाइल और कम्प्यूटर में ज्यादा वक्त विताते हैं. इससे सर दर्द, आंखों की परेशानी भी हो रही है.
साइकेट्रिस्ट डॉक्टर सुरभि दुबे ने बताया कि कोरोना के चलते स्कूल लंबे समय से बंद हैं. ऐसे में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है. उन्होंने बताया कि ऑनलाइन क्लास चल रही है. माता-पिता का एक मोटिव रहता है कि थोड़ा फिजिकल एक्टिविटी बच्चों से करवाएं. बाहर बच्चे के साथ खेले-कूदें, लेकिन व्यस्तता के चलते पैरेंट्स बच्चों का ध्यान नहीं रख पाते. ऐसे में वो इंटरनेट और मोबाइल का उपयोग जरूरत से ज्यादा करने लगे हैं.