रायपुर: विश्व उच्च रक्तचाप दिवस यानी वर्ल्ड हाई ब्लड प्रेशर डे के अवसर पर हम बात करने जा रहे हैं उन बच्चों की जो कम उम्र में ही इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी दिनों दिन बढ़ती जा रही है. डॉक्टर्स का कहना है कि इस बच्चों में इस बीमारी के बढ़ने का कारण उनका खानपान और दिनचर्या है.
कुछ निजी संस्था की ओर लोगों ने तेजी से बढ़ रहे उच्च रक्तचाप को लेकर शोध किया गया, विभिन्न आयु वर्ग के लोगों पर शोध करने के बाद पता चला कि कम उम्र के बच्चे भी हाईब्लड प्रेशर का शिकार हो रहे हैं. शोध में पाया गया कि, 18 साल या उससे ज्यादा उम्र के 30% से ज्यादा लोग उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं, वहीं 18 से 19 वर्ष की आयु में सिर्फ 45% युवाओं का रक्तचाप सामान्य पाया गया. 20 से 44 वर्ष के लोगों में रक्तचाप के मामले सबसे अधिक दर्ज किए गए. महिला और पुरुषों दोनों में रक्तचाप के मामले बढ़ती उम्र के साथ बढ़ रहे हैं.
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बच्चों में लगातार बढ़ रहे ब्लड प्रेशर की बीमारी को लेकर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर अशोक भट्टर से बात की गई तो उनका कहना है कि 'जिस तरह से दिनों दिन बच्चों का खानपान बदल रहा है, उनकी दिनचर्या बदल रही है. बच्चे शारीरिक परिश्रम करने वाले खेलकूद की जगह मोबाइल और कंप्यूटर में गेम खेल रहे हैं. बाकी समय उनका टीवी देखने में गुजर रहा है, इस कारण से उनमें शारीरिक कमजोरी पैदा हो रही है. जिसका असर उनके शरीर में उच्च रक्तचाप या फिर हाई ब्लड प्रेशर के रूप में भी देखने को मिल रहा है. जिसकी वजह से बच्चे चिड़चिडे ओर जिद्दी भी हो रहे हैं'.
'बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करना उचित नहीं'
डॉक्टर भट्टर ने कहा कि 'बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी की दूसरी वजह पढ़ाई का बढ़ता बोझ भी है. इस बर्डन के कारण भी बच्चों पर मानसिक तनाव बढ़ रहा है. ज्यादातर बच्चों के माता-पिता उन पर दूसरे बच्चों से आगे बढ़ने दबाव बनाते हैं जिसका असर भी उनके मस्तिष्क पर पड़ता है. डॉक्टर का कहना है कि 'सभी बच्चों में एक सी प्रतिभा हो ऐसा संभव नहीं है ऐसे में उन बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करना उचित नहीं है'