रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा सत्र में राज्य सरकार के वित्तीय वर्ष 2020-21 की प्रथम अनुपूरक अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने विपरीत परिस्थितियों में भी किसानों की अर्थव्यवस्था को बिगड़ने नहीं दिया. अगर हमें कर्ज लेना पड़ेगा तो कर्ज लेंगे, लेकिन किसानों को कोई तकलीफ नहीं होने देंगे. सीएम बघेल ने कहा कि आपकी नजर में विकास का पैमाना सड़कें और बिल्डिंग हो सकती हैं, लेकिन हमारी नजर में विकास का पैमाना किसान, आदिवासियों और महिलाओं का उत्थान है. हमारी वचनबद्धता किसानों के प्रति है.
विधानसभा में चर्चा के बाद 3807 करोड़ 46 लाख रुपए की प्रथम अनुपूरक मांग पारित कर दी गई. वर्ष 2020-21 के वार्षिक बजट 1 लाख 2 हजार 907 करोड़ 43 लाख रुपए को मिलाकर बजट का कुल आकार 1 लाख 6 हजार 714 करोड़ 89 लाख रुपए हो गया है. मुख्यमंत्री ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि किसानों को धान का 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल मूल्य दिलाने के लिए ही हम राजीव गांधी किसान न्याय योजना लेकर आए. इसमें दो किस्तों का भुगतान किसानों को कर दिया गया है, और शेष किस्तों का भुगतान भी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में जब नई सरकार आई तब राज्य सरकार के खजाने में 400 करोड़ रुपए की राशि थी, लेकिन 15 साल बाद जब हमें शासन की जिम्मेदारी मिली, तब राज्य पर 41 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था.
मनरेगा में 26 लाख लोगों को काम दिया गया
वर्ष 2003 में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या 18 से 19 प्रतिशत थी, जो 15 साल बाद बढ़कर 39 प्रतिशत हो गई. इसी तरह छत्तीसगढ़ में 37.5 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 41 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं, हमारी सरकार के चलाए गए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से 6 से 8 माह में ही कुपोषित बच्चों की संख्या में 13 प्रतिशत की कमी आई है. बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का गठन प्रदेश के 2.80 करोड़ लोगों के लिए हुआ है. हम उनके लिए कर्ज ले रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान हमने गरीबों, आदिवासियों और जरूरतमंद लोगों को रोजगार देने का काम किया. मनरेगा में 26 लाख लोगों को काम दिया गया.
13 लाख वनवासी परिवारों को रोजगार दिया गया
राजीव गांधी किसान योजना का लाभ प्रदेश के 19 लाख किसानों को दिया जा रहा है. लघु वनोपजों के संग्रहण के माध्यम से 12 से 13 लाख वनवासी परिवारों को रोजगार और आय के साधन उपलब्ध कराए गए हैं. यही कारण है कि लॉकडाउन में भी छत्तीसगढ़ में व्यापार और उद्योग के पहिए चलते रहे. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान जनधन खातों में 500 रुपए और किसान निधि योजना में 500 रुपए की राशि दी गई, जबकि राज्य सरकार ने प्रारंभ की गई. गोबर खरीदी की गोधन योजना में पहला भुगतान 1 करोड़ 65 लाख रुपए और दूसरा भुगतान 4 करोड़ 50 लाख रुपए का किया गया. इसमें गोबर बेचने वाले हर व्यक्ति को औसतन 800 रुपए मिले. इस योजना के लाभान्वित लोगों में 71 प्रतिशत लोग भूमिहीन हैं.
संगठनों ने देशभर में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण विश्वभर की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. राज्य सरकार के भी राजस्व में कमी आई है. केंद्र सरकार से जीएसटी का 2828 करोड़ रुपए अभी तक नहीं मिले हैं. अगर यह राशि मिल जाती तो छत्तीसगढ़ को कर्ज लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती. इसी तरह राज्य में स्थित केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से सीएसआर की राशि भी नहीं मिली. बघेल ने कहा कि लॉकडाउन की कठिन परिस्थितियों में हमने पीड़ित मानवता की सेवा को अपना एकमात्र लक्ष्य बनाया. ऐसे समय में हमने महात्मा गांधी, कबीर, गुरुनानक, विवेकानंद, नेहरू और अंबेडकर, आजाद के सेवाभाव को अपनाया. राज्य सरकार के मंत्रियों-विधायकों, अधिकारियों-कर्मचारियों, जिला प्रशासन के लोगों के साथ सभी समाजों के संगठनों ने मानवता की सेवा का काम कर देशभर में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया.
56 लाख परिवारों को निःशुल्क राशन उपलब्ध कराया गया