रायपुर:सहजन यानी मुनगा छत्तीसगढ़ से अब सात समुंदर पार अपने औषधीय गुण के कारण फेमस हो रहा है. विशेषज्ञों की मानें तो सहजन एक ऐसी सब्जी है, जो छत्तीसगढ़ के क्लाइमेट को भरपूर सपोर्ट करती है और पूरे प्रदेश में सहज रूप से उपलब्ध है.
कोरोना के संकट के दौर में जहां लोग हेल्थ और अपने न्यूट्रिशन वैल्यू को लेकर काफी चिंतित हैं, वहीं छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर पाया जाने वाला सहजन यानी मुनगा से बना प्रोडक्ट दूसरे देशों में जाकर लोगों के लिए बेस्ट फूड का काम कर रहा है. मुनगा की पत्तियों से लेकर फल तक से कई प्रोडक्ट्स बनाए जा रहे हैं.
सहजन की चॉकलेट सात समंदर पार बना सुपर फूड मुनगे के पत्ते से मैजिक मोरिंगा के साथ एनर्जी बार चॉकलेट बनाई जा रही है, जो छत्तीसगढ़ से लेकर अमेरिका, कोरिया और जापान जैसे देशों में काफी पसंद किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में प्रगतिशील किसानों की संस्था एग्रीकॉन के डायरेक्टर रजनीश अवस्थी बताते हैं कि छत्तीसगढ़ के मुनगे से बने उत्पाद को जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका जैसे कई बड़े देशों में भी पसंद कर रहे हैं. किसानों की समिति एग्रिकॉन के माध्यम से बीते 6 साल से मुनगे की पत्तियों और फलों के औषधीय गुणों को लेकर काम कर रहे हैं. इसके लिए विभिन्न प्रयोग भी कर रहे हैं. यहां से अमेरिका, जर्मनी, कोरिया के साथ गल्फ कंट्रीज में यहां के प्रोडक्ट्स को भेजा जा रहा है.
रजनीश अवस्थी कहते हैं कि शुरुआती दौर में मुनगे की पत्ती का पाउडर जिसे मैजिक मोरिंगा नाम दिया गया, बाद में इसके मल्टी प्रोडक्ट्स को लेकर काम किया गया. कई दौर के रिसर्च के बाद लगा कि पाउडर खाना बच्चों के लिए काफी मुश्किल हो रहा है. जिसके बाद इसे एनर्जी बार में बदला गया. अब इसे सभी वर्ग के लोग पसंद कर रहे हैं. इससे बने एक एनर्जी बार खाने से पूरे दिन में खर्च हुई ऊर्जा की भरपाई हो जाती है. इसमें इतनी मात्रा में आयरन और कैल्शियम है कि एक इंसान के दिनभर की जरूरत को पूरा कर देता है. मोरिंगा के बिस्किट भी बनाए जा रहे हैं. इसके अलावा अलग-अलग स्वरूपों में इसको लेकर काम करने की कोशिश की जा रही है.
कुपोषण से लड़ने में बेहद कारगर है मुनगा
रजनीश अवस्थी बताते हैं कि कुपोषण से लड़ने के लिए मुनगा में पाया जाने वाला पौष्टिक आहार बेहद कारगर और शक्तिशाली है. कुपोषित बच्चे को अगर 3 से 4 हफ्ते तक लगातार मुनगे के पाउडर का सेवन कराया जाए, तो वह कुपोषण से सुपोषण की ओर बढ़ जाएगा. कई चरणों में रिसर्च के बाद पाया गया है कि मुनगा कुपोषण से लड़ने में कारगर है. इसके लिए विदेशों में भी ट्रायल हुए हैं. मुनगे को कुपोषण से लड़ने के लिए अच्छा आधार माना गया है.
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मुनगा में सुपर न्यूट्रिशन वैल्यू
न्यूट्रीशियन डॉ शालिनी गोयल कहती हैं कि भारत में लोगों में बड़े पैमाने पर आयरन की कमी है. ऐसे में मोरिंगा एक सुपर फूड के रूप में सेवन किया जा सकता है. यह बेहद फायदेमंद होता है. मुनगे का फल और पत्तियां दोनों ही काफी उपयोगी होती हैं. सबसे अच्छी बात है कि छत्तीसगढ़ में मुनगे के उपज के लिए बेहद अच्छा क्लाइमेट है. मुनगा यहां का बेहतरीन रिसोर्सेज है. मुनगे के बहुत सारे यूज हैं. मुनगे के पाउडर को सूप में एड कर सकते हैं. दालों में एड करके भी इसका सेवन कर सकते हैं. मुनगे के पाउडर के बिस्किट और चॉकलेट बन जाते हैं. ये हीमोग्लोबिन बढ़ाने का अच्छा रिसोर्स होता है. आयरन बड़े पैमाने पर पाया जाता है. विटामिन ए का अच्छा रिसोर्स है. खासकर प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए मुनगा का सेवन बहुत ही ज्यादा अच्छा है.
मुनगे की खासियत
- मुनगा पौष्टिकता से भरपूर एक बेहद ही खास पौधा है.
- पौष्टिकता से भरपूर मुनगा को आयुर्वेद में भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है.
- मुनगा डायबिटीज, एनीमिया और कुपोषण से लड़ने में रामबाण है.
- मुनगा मल्टी विटामिन से भरपूर होता है.
- इसकी पत्तियों में प्रोटीन के साथ विटामिन बी- 6, विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई पाया जाता है.
- गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए ये वरदान की तरह होता है.
- इसमें आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम और जिंक जैसे मिनरल भी पाए जाते हैं.
छत्तीसगढ़ में सालों से गांव-गांव के घर-घर में मुनगे का पौधा जरूर होता रहा है. मुनगे के पौधे को लेकर ग्रामीण इलाकों में पुरखों से इसकी जानकारी रही है कि मुनगा सब्जी के लिए ही नहीं बल्कि दवाई के रूप में भी काम आता है. इसकी पत्तियों की सब्जी और मुनगा को दाल और सब्जी के साथ उपयोग किया जाता है.
अंडे और मोरिंगा एनर्जी बार में पैष्टिकता
एक उबले अंडे में पैष्टिकता
- 5.5 ग्राम प्रोटीन
- 4.2 ग्राम फैट
- 22. 6 मिलीग्राम कैल्शियम
एक मोरिंगा एनर्जी बार में पैष्टिकता
- 7 ग्राम कार्बोहाइड्रेट
- 8 ग्राम फैट
- 4 ग्राम प्रोटीन
- 3 ग्राम फाइबर
- 83 मिलीग्राम कैल्शियम
- 96 मिलीग्राम पोटैशियम
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छत्तीसगढ़ में मुनगे के प्लांटेशन पर भी फोकस
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से प्रदेश भर में बारिश के समय पौधारोपण को लेकर अभियान तो हर साल चलाया जाता रहा है, लेकिन बीते साल यह अभियान कुछ अलग तरह से मनाया गया था. दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार ने केवल एक किस्म के पौधों को लगाने के लिए अलग से अभियान छेड़ रखा है. राज्य सरकार की ओर से वन विभाग के द्वारा प्रदेश भर में मुनगा के पौधा रोपण को लेकर बड़ा अभियान चलाया गया था. छत्तीसगढ़ की संस्कृति में सालों से गांव-गांव में लोगों के घरों में बाड़ी का एक विशेष महत्व रहा है. घरों की बाड़ियों में ही छोटी-मोटी सब्जियों और अमरूद, सीताफल, जामुन और मुनगा जैसे पौधे होते ही थे. छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में जहां कुपोषण को लेकर लंबे समय से तमाम तरह के अभियान चलाया जा रहे हैं, अब मुनगा से बने प्रोडक्ट की डिमांड न केवल इंडिया में बल्कि सात समंदर पार भी हो रही है.