छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का समापन रायपुर:छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का समापन हो गया. इस ओलंपिक के आयोजन ने लोगों का दिल जीत लिया Chhattisgarhia Olympics ends. देसी खेलों की ऐसी धूम मची की हर कोई इसका दीवाना हो गया. बच्चों से लेकर बड़े तक हर वर्ग के लोग स्पर्धा में शामिल हुए. यह आयोजन राज्य स्तरीय लेवल पर तीन दिनों तक चला. जिसमें कई इलाकों से प्रतिभागी पहुंचे और अपनी खेल का परिचय Kancha game in Chhattisgarhi Olympics दिया.
ईटीवी भारत ने नन्हे खिलाड़ियों से बात की: ईटीवी भारत ने यहां पहुंचे एक एक नन्हें खिलाड़ियों की टीम से बात की जिन्होंने अपनी जिद के बदौलत राज्य स्तरीय छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में सफलता हासिल की. यह टीम स्पर्धा में शामिल होने के लिए बिना पैरेंट्स और बिना शिक्षक के आए थे. इन्होंने राज्य स्तरीय स्पर्धा में अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाते हुए दूसरा स्थान हासिल किया है. ईटीवी भारत ने इनसे इनके सफर के बारे में बात की Chhattisgarhi Olympics news.
परिजनों ने कर दिया था मना, अपनी जिद से आए:ये बच्चे धमतरी से आए थे. पारंपरिक खेल बांटी में इन्होंने जबरदस्त खेल का प्रदर्शन किया और पूरे राज्य में दूसरा स्थान हासिल किया. ये बच्चे बिना मां बाप और शिक्षक के पहुंचे और लगातार उम्दा खेल का प्रदर्शन किया. धमतरी के ये चारों मासूमों ने हर किसी का दिल जीत लिया. क्योंकि इन बच्चों को इनके परिजनों ने छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में शामिल होने की परमिशन नहीं दी थी. लेकिन इनकी जीद, जुनून और जज्बे से इन्होंने इसमें हिस्सा लिया और कमाल कर दिया.
ये भी पढ़ें: पहला छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का समापन, जानिए कैसा रहा सफर
हम अकेले खेलने आए:इन खिलाड़ियों ने बताया कि "छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में जाने से परिजन इनकार कर रहे थे. परिजन कहते थे कि गांव से कोई नहीं जा रहा है. ऐसे में वहां अकेले क्या करोगे. हमने जब जिद की तो उन्होंने कहा कि साथ में यदि कोई जाता है तो ही जाना. इसके बाद कुछ लोगों ने बीच बीच में आने की बात कही". लेकिन कोई नहीं. उसके बावजूद इन बच्चों ने बस्तर, दुर्ग और बिलासपुर जैसे बड़े शहरों के खिलाड़ियों को हराकर दूसरा स्थान हासिल किया है.