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पुरूष नसबंदी पखवाड़ा में छत्तीसगढ़ ने मारी बाजी

छत्तीसगढ़ ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक और उपलब्धि हासिल की है.छत्तीसगढ़ को पुरूष नसबंदी पखवाड़ा में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कार मिला (Chhattisgarh won in male sterilization fortnight ) है.

Chhattisgarh won in male sterilization fortnight
पुरूष नसबंदी पखवाड़ा में छत्तीसगढ़ ने मारी बाजी

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Published : Jul 27, 2022, 5:33 PM IST

रायपुर :छत्तीसगढ़ को पुरूष नसबंदी पखवाड़ा में उत्कृष्ट कार्यों के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने तीन पुरस्कारों से पुरस्कृत किया (Chhattisgarh won in male sterilization fortnight) है. पुरुष नसबंदी पखवाड़ा के दौरान पिछले तीन वर्षों 2019 से 2021 के बीच नसबंदी में छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर है. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार (Union Minister of State for Health Dr Bharti Praveen Pawar) ने नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश को इस उपलब्धि के लिए पुरस्कृत किया. परिवार नियोजन कार्यक्रम के उप संचालक डॉ. टी.के. टोंडर एवं कंसल्टेंट डॉ. रोशन गुप्ता ने छत्तीसगढ़ की ओर से पुरस्कार लिया है.

किन लोगों को मिला पुरस्कार :पुरुष नसबंदी के लिए प्रदेश को 2 और श्रेणियों में पुरस्कार प्राप्त हुआ (Chhattisgarh gets two awards for male sterilization) है. सर्वाधिक पुरुष नसबंदी के लिए डॉ. संजय नवल को राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय पुरस्कार मिला है. पुरुष नसबंदी के लिए दम्पत्ति मोटिवेशन (प्रेरक) की श्रेणी में रायपुर जिले के तिल्दा की मितानिन केवरा वर्मा को पुरस्कृत किया गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) ने पुरस्कार के लिए स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की टीम को बधाई दी है.

पुरूष नसबंदी पखवाड़ा में छत्तीसगढ़ में पुरस्कार



तीन वर्षों में अव्वल :परिवार नियोजन कार्यक्रम के उप संचालक डॉ. टी.के. टोंडर ने बताया " पुरूष नसबंदी पखवाड़ा के दौरान पिछले तीन वर्षो में प्रदेश में 3212 पुरुषों की नसबंदी की गई है. पुरूष नसबंदी पखवाड़ा के दौरान वर्ष 2019-20 में 1695, वर्ष 2020-21 में 168 और वर्ष 2021-22 में 1349 पुरूषों ने नसबंदी कराई है." डॉ. टी.के. टोंडर ने बताया "नसबंदी पखवाड़ा के दौरान ग्राम स्तर से लेकर जिला स्तर तक विशेष अभियान चलाकर लोगों में पुरूष नसबंदी के प्रति फैली भ्रांतियों और मिथकों को दूर किया जाता है. ग्राम स्तर पर “मोर मितान मोर संगवारी” चौपाल का आयोजन कर पुरूषों को नसबंदी के लिए प्रेरित किया जाता है."

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