रायपुर: कोविड-19 ये महामारी आने वाले कई साल और आने वाली कई पीढ़ियों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं होगी. इस बीमारी के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन किया गया और सख्त हिदायत दी गई थी कि जब तक बेहद जरूरी न हो कोई घर से बाहर न निकलें. ये पाबंदी बुजुर्गों और बच्चों के लिए और भी जरूरी थी क्योंकि इन दोनों के लिए संक्रमण का खतरा ज्यादा है. इसका नतीजा ये हुआ है कि घर के बड़े-बुजुर्ग लॉकडाउन में कमरों में कैद हो गए. दिनचर्या भी प्रभावित हुई लेकिन सबसे ज्यादा असर उनकी मानसिक अवस्था पर पड़ा है. चारदीवारी में रहकर बुजुर्ग टेंशन और डिप्रेशन का शिकार हो गए हैं.
बुजुर्गों के बाहर निकलने पर पाबंदी
सरकारी एडवाइजरी के मुताबिक 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग घरों से बाहर नहीं निकल सकते और 10 वर्ष से कम के बच्चों को भी घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगाया गया है. सामान्य दिनों में बुजुर्ग अपने घरों से बाहर निकलकर हम उम्र लोगों के साथ अपना समय व्यतीत करने पार्क या फिर बाजार की ओर घूमने चले जाते थे, लेकिन लॉकडाउन और कंटेनमेंट जोन बनाए जाने के बाद बुजुर्गों का घर से बाहर निकलना भी पूरी तरह से बंद हो गया है. सामान्य दिनों में बुजुर्ग ट्रेन या फिर बसों से अन्य रिश्तेदारों के घर अपना समय व्यतीत करने चले जाते थे लेकिन अब इन सब चीजों पर पाबंदी लगा दी गई.