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छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ ने की यात्री किराया बढ़ाने की मांग, 35 फीसदी तक बढ़ सकता है फेयर - बस संचालक कर रहे किराया बढ़ाने की मांग

छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ (Chhattisgarh traffic federation ) ने किराया बढ़ाने की मांग की है. संचालकों की मांगे पूरी ना होने पर उन्होंने आंदोलन की चेतावनी (Warning of movement) दी है. उन्होंने प्रदेश में 35 प्रतिशत तक किराया बढ़ाने की मांग की है.

Chhattisgarh Traffic Federation holding press conference
छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ के पदाधिकारी

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Published : Jun 25, 2021, 9:43 PM IST

रायपुरःकोरोना और लॉकडाउन (Corona and lockdown) के कारण बस संचालकों की माली हालत काफी खराब हो चुकी है. पिछले 16 महीने से यात्री बसों का संचालन अधिकांश बंद है. अब बस संचालक यात्री किराया बढ़ाने की मांग (Bus fare will increase in Chhattisgarh) कर रहे हैं. पूरे प्रदेश में लगभग 12000 यात्री बसें चलती हैं. जिनका संचालन पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाया है. ऐसे में इसे शुरू करने में काफी दिक्कतें आ रही हैं. संचालकों का कहना है कि पेट्रोल और डीजल के दाम (Petrol and diesel prices) लगातार बढ़ रहे हैं. संचालक करीब 35 प्रतिशत किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. बस संचालकों ने सरकार को 28 जून तक यात्री किराया बढ़ाने की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि यात्री किराया में वृद्धि नहीं होने पर वे चरणबद्ध आंदोलन करेंगे.

प्रेस वार्ता करते छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ के पदाधिकारी

किराया बढ़ाने की मांग

बस संचालकों (Bus operator) का कहना है कि डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. यात्री किराया नहीं बढ़ने से केवल 10 प्रतिशत बसों का ही संचालन हो रहा है. संचालकों का कहना है कि इतने कम किराये में सभी बसों का संचालन संभव नहीं है. इस व्यवसाय से जुड़े बस मालिक, ड्राइवर, कंडक्टर, हेल्पर और क्लीनर सहित लगभग 1 लाख 8 हज़ार लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई है. उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक यात्री किराया बढ़ाया जा चुका है. छत्तीसगढ़ में लंबे समय से यात्री किराया नहीं बढ़ाया गया है. ऐसे में छत्तीसगढ़ के सभी बसों का संचालन शुरू नहीं किया जा सकता.

आर्थिक संकट से जूझ रहे संचालक

बस कर्मचारी कल्याण समिति का कहना है कि बस मालिक छत्तीसगढ़ के ड्राइवर और कंडक्टर को प्राथमिकता ना देकर दूसरे राज्य के ड्राइवर और कंडक्टर को बुलाकर अपनी बसों का संचालन कर रहे हैं. जिसके कारण छत्तीसगढ़ के ड्राइवर और कंडक्टर की स्थिति पहले से ज्यादा खराब हो गई है. हालात यह हो गए हैं कि परिवार पालने के लिए घर में रखें जेवरात भी बेचने पड़ रहे हैं.

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बस संचालकों में गुस्सा

छत्तीसगढ़ में लगभग 12,000 बसें संचालित होती है. इन बसों में काम करने वाले हजारों लोग जुड़े हुए हैं. पिछले डेढ़ साल से लॉकडाउन के दौरान बस मालिकों को करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान सहना पड़ा है. बस में काम करने वाले ड्राइवर, कंडक्टर, हेल्पर, मुंशी और क्लीनर को शासन-प्रशासन या फिर बस मालिकों की तरफ से कोई राशि या आर्थिक मदद भी नहीं मिल पाई है. जिसके कारण इन लोगों में आक्रोश भी देखा जा रहा है.

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बस संचालक करेंगे चरणबद्ध आंदोलन

  • 28 जून को छत्तीसगढ़ के सभी बस स्टैंड पर एक दिवसीय शांतिपूर्ण तरीके से धरना-प्रदर्शन.
  • 2 जुलाई को सभी जिला मुख्यालय में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेगे.
  • 8 जुलाई को प्रदेशभर के जिला मुख्यालयों में सभी बस संचालकों के साथ-साथ इस रोजगार से जुड़े सभी लोगों का परिवार धरना प्रदर्शन करेगा.
  • 12 जुलाई को रायपुर के बूढ़ा तालाब पर इस रोजगार से जुड़े लोग एक दिवसीय महा धरना देंगे.
  • 13 जुलाई को पूरे प्रदेश की बसें अनिश्चित काल के लिए बंद कर दी जाएगी.
  • मांगें पूरी नहीं होने पर बस संचालकों ने जल समाधि की चेतावनी दी है. 14 जुलाई को खारून नदी के तट पर जल समाधि लेने की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि इसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार की होगी.

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