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नीति आयोग की बैठक में छत्तीसगढ़ की इस योजना की तारीफ - bhupesh baghel

मुख्यमंत्री ने ‘नरवा, गरुवा, घुरवा, बारी’ योजनाओं की के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने, स्थानीय संसाधनों को विकसित करने और व्यापक तौर पर पर्यावरण संरक्षण को को ध्यान में रखकर यह कार्यक्रम शुरू किया गया है.

नीति आयोग की बैठक

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Published : Jun 15, 2019, 7:21 PM IST

Updated : Jun 15, 2019, 7:39 PM IST

नई दिल्ली: नीति आयोग की बैठक में छत्तीसगढ़ सरकार की एक कोशिश की तारीफ हुई. बैठक में छत्तीसगढ़ की ‘नरवा, गरुवा, घुरवा, बारी’ की परिकल्पना को अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी सराहा.

बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि, पर्यावरण संतुलन, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, गिरता भू-जल स्तर, पशुधन संवर्धन, जैविक खेती आदि विभिन्न विषयों के समाधान के लिए छत्तीसगढ़ ने नवाचार किया है. सीएम ने इस योजना को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की मांग केंद्र सरकार से की है.

बैठक की बड़ी बातें-

  • नीति आयोग की गर्वनिंग कांउसिल की बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री न ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पुनर्जीवन के लिए ठोस पहल करने की बात कही.
  • भूपेश बघेल ने कहा कि देश में किसानों की आय दुगुना करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ में हाल ही में लागू ‘नरवा, गरुवा, घुरवा, बारी’ योजनाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.
  • उन्होंने जोर देकर कहा कि देश के विकास के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की ठोस पहल की आवश्यकता है और छत्तीसगढ़ इस मामले में देश को रास्ता दिखा सकता है.
  • मुख्यमंत्री ने ‘नरवा, गरुवा, घुरवा, बारी’ योजनाओं की के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने, स्थानीय संसाधनों को विकसित करने और व्यापक तौर पर पर्यावरण संरक्षण को को ध्यान में रखकर यह कार्यक्रम शुरू किया गया है.
  • उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा में नरवा का अर्थ है प्राकृतिक नाले, गरुवा का अर्थ हैं पशुधन, घुरवा का अर्थ है अपशिष्ट पदार्थो का भण्डार और बारी का अर्थ है छोटी बागवानी.
  • उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत हम भू-जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए नाले में बहते पानी को रोकेंगे, गाय तथा गौवंशीय पशुधन को बचायेंगे और इनका किसानों एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में उपयोग सुनिश्चित करेंगे.
  • इसके साथ ही गोबर तथा अन्य जैविक ग्रामीण अपशिष्ट पदार्थो से कम्पोस्ट खाद का निर्माण एवं बाड़ी अर्थात हर किसान तथा ग्रामीण के यहां छोटे बगीचों का विकास करेंगे.
Last Updated : Jun 15, 2019, 7:39 PM IST

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