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राजभवन में अटका आरक्षण विधेयक, राज्यपाल कानूनी मसलों पर ले रही राय ! - आदिवासियों

Chhattisgarh reservation bill stuck छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित आरक्षण के नए विधेयक पर राज्यपाल अनसुईया उइके ने अभी तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं. जिसके कारण प्रदेश में आरक्षण से संबंधित नए प्रावधान लागू नहीं हो पाए हैं. राज्यपाल विधि विशेषज्ञों के साथ चर्चा करना चाहती हैं. उसके बाद ही इस नए विधेयक पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.

anusuiya uikey not yet signed reservation bill
राज्यपाल ने अब तक नहीं किए ने आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर

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Published : Dec 6, 2022, 11:45 PM IST

रायपुर: Chhattisgarh reservation bill stuck दो दिसंबर को छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित आरक्षण के नए विधेयक पर राज्यपाल अनसुईया उइके ने अभी तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं. जिसके कारण प्रदेश में आरक्षण से संबंधित नए प्रावधान लागू नहीं हो पाए हैं. राज्यपाल अनुसूईया उइके ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा था कि वह नए विधेयक पर सोमवार तक हस्ताक्षर कर देंगी. लेकिन राज्यपाल विधि विशेषज्ञों के साथ चर्चा करना चाहती हैं. उसके बाद ही इस नए विधेयक पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. इस मामले पर अब सरकार की भी चिंता लगातार बढ़ रही है.

आरक्षण पर रार
"विधेयक पर लीगल ओपिनियन लेना हमें चिंतित कर रहा": संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि "छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए जनता के द्वारा लगातार उच्च न्यायालय के फैसले के बाद मांग की जा रही थी. हमारी सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण के पक्ष में विधेयक पारित कराया. विधानसभा सत्र में भारतीय जनता पार्टी ने भी समर्थन किया. राज्यपाल ने स्वयं कहा था कि विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण के पक्ष में कानून बनना चाहिए. उन्होंने अपना बयान भी दिया था कि जैसे ही उनके पास बिल आएगा, तत्काल उसके अनुमति दी जायेगी."

उस स्टेटमेंट के आधार पर हमने राज्यपाल से तत्काल अनुमति जारी करने के लिए जिस दिन हमारा विधेयक पारित हुआ, उसी दिन पांच मंत्री समेत प्रशासनिक अधिकारियों के साथ जाकर विधानसभा की कार्रवाई से राज्यपाल को अवगत कराया था. उम्मीद करते थे कि बहुत जल्दी हस्ताक्षर हो जाएगा. आज तीसरा दिन है, लगातार मीडिया में आ रहा है कि लीगल ओपिनियन लिया जा रहा है. छत्तीसगढ़ के हजारों लाखों बेरोजगार और नियुक्तियों के अवसर का सवाल है. यह फैसला छत्तीसगढ़ के आम जनता के हित में है. इसलिए मैं उम्मीद करता हूं कि आज शाम तक राज्यपाल के हस्ताक्षर हो जाने चाहिए.

अप्रत्यक्ष दबाव पर बोले रविंद्र चौबे: अप्रत्यक्ष दबाव के सवाल पर रविंद्र चौबे ने कहा कि "मैं आज इस बात को नहीं कहूंगा. क्योंकि मुझे आज उम्मीद है कि राज्यपाल का हस्ताक्षर हो जाएगा. लेकिन राज्यपाल के दफ्तर में केवल लीगल ओपिनियन के लिए 3 दिन किसी विधेयक में लग जाना, यह निश्चित रूप से हम लोगों को चिंतित करता है."


संविधान के अनुकूल काम करेंगी राज्यपाल: इस मामले पर भाजपा के विधायक और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि "संविधान, नियम कानून यह सभी कांग्रेस के पार्टी के जेब के विषय नहीं हैं. जिस प्रकार से उन्होंने प्रदेश के आदिवासियों को, अनुसूचित जाति को ,पिछड़ा वर्ग को, प्रदेश के EWS लोगों को भुलावे में रखने की कोशिश की है. कानूनविद सरकार के भुलावे में नहीं आने वाले हैं. संविधान में जो नियम कायदे हैं, उन्हीं के अनुसार कार्य होगा. राज्यपाल किसी भी राज्य की संवैधानिक प्रमुख होती है, इसलिए वह जो भी निर्णय करेंगे, संविधान के अनुकूल करेंगी, कांग्रेस के अनुकूल नहीं करेंगी."

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