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India Justice Report : न्याय के मामले में छत्तीसगढ़ को नौंवा स्थान

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट यानी आईजेआर 2022 की रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि न्याय तक पहुंचने के मामले में कर्नाटक जहां अव्वल है. वहीं छत्तीसगढ़ का स्थान नौंवा है.

India Justice Report
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ की स्थिति

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Published : Apr 5, 2023, 4:13 PM IST

Updated : Apr 5, 2023, 6:18 PM IST

रायपुर :इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में राज्यों को न्याय के मामलों को लेकर रैंकिंग दी गई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि, न्याय की प्रक्रिया में कर्नाटक जहां अव्वल है. वहीं, छत्तीसगढ़ का स्थान नौंवा है. IJR में देश के एक करोड़ से ज्यादा आबादी वाले 18 राज्यों में छत्तीसगढ़ भी शामिल है. जिसमें छत्तीसगढ़ को 10 में से 5.20 अंक मिले हैं.

क्या है छत्तीसगढ़ की रैकिंग : साल 2020 में जारी दूसरी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ की रैंकिंग घटकर 7वें स्थान पर आई. टाटा ट्रस्ट की अगुवाई में यह रिपोर्ट जारी की गई. यह रिपोर्ट दक्ष (DAKSH), कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव, कॉमन कॉज, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी और टीआईएसएस तैयार करता है.आइए आपको बताते हैं कि कानूनी व्यवस्था में छत्तीसगढ़ की परफॉर्मेंस क्या है.

पुलिस रैंकिंग: छत्तीसगढ़ पुलिस रैंकिंग में 10 में से 5.70 अंक हासिल कर 9वें स्थान पर है. तेलंगाना 6.92 अंकों के साथ टॉप पर है.

मानव संसाधन रैंकिंग: छत्तीसगढ़ को 10 में से 4.77 अंक मिले हैं.

जज टू पॉप्युलेशन रेशियो: छत्तीसगढ़ में अधीनस्थ न्यायालयों में 14.7 और उच्च न्यायालय में 0.5 न्यायाधीश हैं. कुल न्यायाधीश प्रति मिलियन जनसंख्या 15.2 है. यह राष्ट्रीय ओवरएज अनुपात 14.6 से ज्यादा है.

पुलिस वैकेंसी:छत्तीसगढ़ में जनवरी 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक, 21.2% कांस्टेबलों और 26.0% अधिकारियों की वैकेंसी है

न्यायपालिका में खाली सीटें: दिसंबर 2022 तक हाईकोर्ट में जजों की संख्या 34.6 फीसदी तक खाली है

हाईकोर्ट स्टाफ : 2021-22 के आंकड़ों के मुताबिक, 32.6% पद खाली हैं.

कानूनी सहायता के लिए बजट में राज्य का हिस्सा:IJR 2 (2019-20) में कानूनी सहायता बजट में CG की हिस्सेदारी 76% तक कम हो गई है.

उच्च न्यायालयों में लंबित मामले: छत्तीसगढ़ में पांच साल से ज्यादा समय से लंबित मामलों की हिस्सेदारी 66.8% है.

थानों में सीसीटीवी की संख्या : राज्य के थानों में कुल सीसीटीवी कैमरों की संख्या 1 हजार 772 हैं. ऑडियो और वीडियो के साथ कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है. रात में देखने वाले सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं. कुल 456 थानों में से 443 थानों में एक सीसीटीवी है.

छत्तीसगढ़ की अदालत में एससी कोटा पूरा :छत्तीसगढ़ और गुजरात ने ही अपने संबंधित एससी कोटे को पूरा किया है. कोई भी राज्य अधीनस्थ/जिला न्यायालय स्तर पर न्यायपालिका में एससी, एसटी और ओबीसी पदों के लिए सभी तीन कोटा पूरा करने में सक्षम नहीं है. केवल गुजरात और छत्तीसगढ़ ने अपने संबंधित एससी कोटे को पूरा किया. अरुणाचल प्रदेश, तेलंगाना और उत्तराखंड ने अपने संबंधित एसटी कोटे को पूरा किया. केरल, सिक्किम, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना ने ओबीसी कोटा पूरा किया."

हाईकोर्ट में मामले हैं लंबित :28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हाईकोर्ट में फैसले देरी से हो रहे हैं. हर चार में से एक केस पांच साल पुराना है. 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश का भी हाल अच्छा नहीं है. इन राज्यों की जिला अदालतों में कम बजट की वजह से न्याय प्रणाली प्रभावित हो रही है. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट की माने तो देश में 20 हजार 76 जज हैं. जिसमें 22 फीसदी पद खाली हैं. वहीं हाईकोर्ट में 30 प्रतिशत पद खाली हैं. 71 हजार 224 नागरिकों पर सहायक अदालतों में 1 और 17 लाख 65 हजार 760 नागरिकों पर हाईकोर्ट में एक जज है.

मानवाधिकार आयोगों में नहीं हैं जरुरत का स्टाफ : 25 राज्य मानवाधिकार आयोगों में मार्च 2021 तक 33,312 केस लंबित थे. मानवाधिकार आयोग में रिक्त पदों के 44% पद खाली हैं. ज्यादातर राज्यों ने वकीलों के पैनल में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाई है. राष्ट्रीय स्तर पर, यह हिस्सेदारी 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत की गई है. वहीं पुलिस में भी महिला अधिकारियों की कमी है.अधीनस्थ अदालतों के न्यायाधीशों में केवल 13% महिलाएं हैं. IJR रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि कर्नाटक अकेला राज्य है, जो पुलिस अधिकारियों और कांस्टेबल दोनों के बीच अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग पदों के लिए लगातार अपने कोटे को पूरा करता है.

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न्यायपालिका पर खर्च करने में दिल्ली अव्वल : दिल्ली और चंडीगढ़ के अलावा किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश ने अपने सालाना खर्च का एक प्रतिशत न्यायपालिका पर खर्च नहीं किया है. दिल्ली और चंडीगढ़ को यदि छोड़ दें तो, कोई भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश न्यायपालिका पर अपने कुल वार्षिक व्यय का एक प्रतिशत से अधिक खर्च नहीं कर रहा है. आईजेआर के तीसरे संस्करण की रिपोर्ट की मानें तो, एक करोड़ से कम आबादी वाले सात छोटे राज्यों में सिक्किम इस मामले में अव्वल है. वहीं अरुणाचल प्रदेश दूसरे और त्रिपुरा तीसरे स्थान पर है.


इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 के अनुसार, न्याय दिलाने वाले दस राज्यों की रैंकिंग की सूची

  1. कर्नाटक
  2. तमिलनाडु
  3. तेलंगाना
  4. गुजरात
  5. आंध्र प्रदेश
  6. केरल
  7. झारखंड
  8. मध्यप्रदेश
  9. छत्तीसगढ़
  10. ओडिशा
Last Updated : Apr 5, 2023, 6:18 PM IST

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