देश की जरूरत का 20% कोयला उत्पादन करता है छत्तीसगढ़, यहां कमी हुई तो कई राज्य झेलेंगे परेशानी
देश की कुल जरूरत का 20 फीसदी कोयला अकेले छत्तीसगढ़ उपलब्ध कराता है. लेकिन यहां की कुछ खदानों में उत्पादन बंद है और जो चालू हैं, उनमें मांग के अनुरूप कोयला उत्पादन हो नहीं रहा है. ऐसे में जो राज्य कोयले की आपूर्ति के लिए छत्तीसगढ़ पर निर्भर हैं, उन्हें भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
कोयले की कमी से जूझ रहे प्लांट
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Published : Oct 13, 2021, 10:23 PM IST
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Updated : Oct 13, 2021, 10:35 PM IST
रायपुर :इन दिनों देश भर में कोयला संकट (Coal Crisis) को लेकर कोहराम मचा हुआ है. अकेले छत्तीसगढ़ पूरे देश की जरूरत का 20 प्रतिशत कोयला (20 Percent Of The Country Requirement of Coal) उपलब्ध कराता है. इस लिहाज से देखा जाए तो देश का एक बड़ा हिस्सा कोयले के लिए छत्तीसगढ़ पर निर्भर रहता है. केंद्र का कहना है कि देश में कोयला का पर्याप्त स्टॉक है, लेकिन बुधवार को केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Union Coal Minister Prahlad Joshi) छत्तीसगढ़ प्रवास पर थे. उनका यह दौरा कहीं न कहीं इस बात का संकेत दे रहा है कि छत्तीसगढ़ में निश्चित रूप से कोयला संकट है. अब ऐसे में देखा जाए तो अगर छत्तीसगढ़ कोयले के संकट से जूझेगा तो इसका असर देश के अन्य राज्यों पर भी पड़ेगा, जो कोयले की आपूर्ति के लिए छत्तीसगढ़ पर निर्भर रहते हैं.
पहली छमाही के उत्पादन लक्ष्य से बुरी तरह पिछड़ा एसईसीएल
अप्रैल से सितंबर तक एसईसीएल (SECL) को 69. 36 मिलियन टन कोयले का उत्पादन (Coal Production) करना था. जबकि सिर्फ 54.84 मिलियन टन कोयले का ही उत्पादन हो सका है. वहीं मौजूदा वित्तीय वर्ष में एसईसीएल को 172 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य मिला है. इसके 80 फीसदी कोयले का उत्पादन कोरबा की मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, कुसमुंडा और दीपका खदानों से ही किया जाना है. एसईसीएल को सितंबर माह में ही 12.63 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर लेना था, लेकिन एसईसीएल ने 8 मिलियन टन कोयले का ही उत्पादन किया है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में एसईसीएल ने 196 मिलियन टन ऑफटेक का लक्ष्य रखा है.
2023 तक एक बिलियन टन उत्पादन का टारगेट
कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited) ने देश भर के कोयला खदानों से वर्ष 2023 तक 1 बिलियन टन कोयला उत्पादन (Coal Production) का लक्ष्य तय किया है. फिलहाल उत्पादन 650 मिलियन टन है. इसे ध्यान में रखते हुए ही गेवरा खदान का विस्तार 49 से सीधे 70 मिलियन टन सालाना की मांग की गई है, लेकिन इस विस्तार को लेकर भी कई तरह के पेच फंसे हुए हैं. कोरबा में एनटीपीसी, बालको, डीएसपीएम, कोरबा ईस्ट, वेस्ट के साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल और एनटीपीसी को मिलाकर 6000 मेगावाट से ज्यादा बिजली उत्पादन की क्षमता है. यह सभी मिलकर औसतन 3,650 मेगावाट बिजली रोज उत्पादन करते हैं. वर्तमान में इन सभी पावर प्लांटों के पास सिर्फ 3 से 4 दिनों के कोयले का ही स्टॉक शेष है.
बिजली देने का भी है दबाव
एक ओर जहां कोयला खदानों से विद्युत संयंत्रों को मांग के अनुरूप कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है वहीं राज्य में इन दिनों बिजली की डिमांड भी बढ़ गई है. आमतौर पर राज्य भर से बिजली की डिमांड 1600 से 2000 मेगावाट के मध्य रहती है. वर्तमान में यह डिमांड 3000 मेगावाट तक जा पहुंची है. राज्य के विद्युत संयंत्रों (power plants) से देश के गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित तेलंगाना जैसे राज्यों को भी बिजली आपूर्ति की जाती है. अगर पावर प्लांट की स्थिति ऐसी रही तो इन राज्यों में बिजली संकट गहरा सकता है.
छत्तीसगढ़ के विद्युत पावर प्लांट और कोयले की स्थिति