रायपुर: प्रदेश के गांधीवादी विचारक ,कृषि विशेषज्ञ और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सलाहकार प्रदीप शर्मा का नाम तब चर्चा में आया जब प्रदेश के छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा उत्तर प्रदेश चुनाव चुनाव के दौरान भी होने लगी गौरतलब है. कृषि और ग्रामीण विकास से जुड़े सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजना को लागू करवाने में भी इनकी अहम भूमिका रही है. ईटीवी भारत ने प्रदीप शर्मा से खास बातचीत की
सवाल : छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा आज प्रदेश ही नहीं पूरे देश में हो रही है. लोग जानना चाहते हैं कि आखिर छत्तीसगढ़ मॉडल है क्या ?
जवाब : छत्तीसगढ़ मॉडल सर्व समावेशी विकास का मॉडल है. एक ऐसा विकास जिसमें कोई भी वर्ग या व्यक्ति पीछे ना रहे. छत्तीसगढ़ की आर्थिक विकास का चक्र खेती और इसमें काम करने वाले लोगों से चलता है. इसी वजह से सबसे पहले भूपेश सरकार ने प्रदेश के किसानों से 25 सौ रुपये क्विंटल में धान खरीदने का फैसला लिया जो इस मॉडल का पहला और महत्वपूर्ण कदम था . इससे बॉटम आफ पिरामिड मजबूत और सशक्त हुआ और किसानों के हांथों में पैसा पहुंचा . दूसरा महत्वपूर्ण कार्य इस दिशा में उठाया गया कदम ,भूमिहीन मजदूर किसान न्याय योजना है , जिससे पिरामिड और सशक्त हुआ . प्रदेश में लगातार ग्रामीण संसाधन निष्क्रिय किए जा रहे थे , इसी दिशा में सकारात्मक पहल करते हुए गांव के छोटे-छोटे जल स्रोत यानी नालों के संवर्धन करने का काम शुरू किया गया . जिससे पानी आधारित आजीविका खेती , मछुआरों की स्थिति या कुम्हारों की आजीविका पर भी सकारात्मक असर दिखने लगा है . गौवंश को आर्थिक रूप से स्वावलंबी और उत्पादन के प्रमुख घटक के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी पहल की गई . ट्रैक्टर और केमिकल फर्टिलाइजर्स के आने से बेकार हो गए गोवंश के गोबर की खरीदी की . इस व्यवस्था के तहत प्रदेश में अब तक 56 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है जिससे 14 लाख क्विंटल , वर्मी कंपोस्ट खाद भी बनाया गया है . इस योजना से आज हर गांव के किसान स्वावलंबी हो रहे हैं अगर इसका दूसरा पहलू देखे तो , एक ओर केंद्रीय मंत्री , यूरिया और डीएपी जैसे खाद की कमी को लेकर बयान दे रहे हैं . डीएपी को लेकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मारकाट मची हुई है . हालांकि इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय दबाव और केंद्र की अक्षमता प्रमुख वजह है. लेकिन दूसरी तरफ वर्मी कंपोस्ट खाद के उत्पादन की वजह से छत्तीसगढ़ के किसानों को , खाद को लेकर तकलीफ नहीं है.
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सवाल : क्या आपको लगता है कि, भूपेश सरकार ने 25 सौ रुपये में धान खरीदी की , इसी वजह से प्रदेश में कोरोनाकाल के दौरान भी मंदी का असर नहीं रहा ?
जवाब : केंद्र की सरकार पिरामिड के ऊपरी हिस्से को मजबूत करने में लगी हुई है जबकि कांग्रेस नींव को मजबूत करने की दिशा में कार्य कर रही है . भूपेश सरकार का मानना है कि पैसा नीचे पहले पहुंचे, तभी सामाजिक पिरामिड की नींव मजबूत होगी और पिरामिड भी खड़ा रह सकेगा.
सवाल : क्या गांधीजी के ग्राम सुराज की परिकल्पना को लेकर ही ग्रामीण भारत के सशक्तिकरण के लिए यह योजनाएं चलाई जा रही हैं ?