रायपुर: राजधानी के बूढ़ा तालाब धरनास्थल पर सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) के बैनर तले छत्तीसगढ़ मध्यान्ह भोजन मजदूर एकता यूनियन और कामकाजी महिला (महिला कमांडो) ने अपनी 10 सूत्रीय मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया, साथ ही रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. वहीं मांगें पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी.
बता दें कि पूरे प्रदेश भर में 85 हजार महिलाएं और पुरुष पिछले 20 वर्षों से मध्यान्ह भोजन बनाने का काम करते आ रहे हैं, मानदेय के रूप में इन्हें हर महीने महज 1200 रुपये ही मिलते हैं. इसी के कारण उन्होंने प्रशासन के सामने अपनी मांगें रही हैं.
ये हैं कर्मचारियों की मांग
⦁ मध्यान्ह भोजन कर्मियों को 1 अप्रैल 2019 से 1200 रुपए मानदेय के स्थान पर 1500 रुपये मानदेय दिया जाए.
⦁ 1 घंटे काम के आदेश को वापस लेकर 6 घंटे काम का आदेश जारी किया जाए.
⦁ सभी मिड-डे-मील वर्करों को चतुर्थ श्रेणी का सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए.
⦁ नियमित किए जाने तक 12 महीने तक न्यूनतम कलेक्टर दर के हिसाब से मानदेय दिया जाए.
⦁ वर्तमान में कार्यरत किसी भी मिड-डे-मील वर्करों को काम से ना हटाया जाए.
⦁ कक्षा 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को भी मध्यान्ह भोजन दिया जाए.
⦁ मिड- डे-मील वर्करों को वेतन सहित 180 दिन का प्रसूति लाभ दिया जाए.
⦁ मिड डे मील योजना के निजी करण पर रोक लगाई जाए.
⦁ शहर के स्कूलों में NGO की ओर से दिए जाने वाले मध्यान्ह भोजन को बंद करके स्कूलों में मिड डे मील बनवाया जाए.
⦁ 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशों ग्रेच्युटी पेंशन प्रोविडेंट फंड मेडिकल सुविधा सहित सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ हर मिड डे मील वर्करों को प्रदान किया जाए.