रायपुर:छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ के कथित शराब घोटाला में ईडी हिरासत में रह रहे आबकारी अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी और कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लन की पेशी मंगलवार दोपहर 1 बजे होगी. दोनों को विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत के कोर्ट में पेश किया जाएगा. 19 मई को स्पेशल कोर्ट ने सुनवाई के बाद एपी त्रिपाठी और त्रिलोक सिंह ढिल्लन की ईडी रिमांड 4 दिनों के लिए बढ़ाई थी. 22 मई को ईडी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कुल 180 करोड़ रुपये की संपत्ति को कुर्क और जब्त किया है.
कुल 180 करोड़ रुपये हुई जब्ती और कुर्की: ED ने छत्तीसगढ़ राज्य में शराब घोटाले की चल रही जांच में अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी, अरविंद सिंह और विकास अग्रवाल की 121.87 करोड़ रुपये की 119 अचल संपत्ति कुर्क की है. इस प्रकार, मामले में कुल जब्ती और कुर्की लगभग 180 करोड़ रुपये है. आगे की जांच अभी चल रही है.
एपी त्रिपाठी भ्रष्टाचार के पितामह:2000 करोड़ रुपए के शराब घोटाला में आबकारी अधिकारी एपी त्रिपाठी को ईडी ने भ्रष्टाचार का पितामह बताया है. शुक्रवार हुई सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय के एडवोकेट सौरभ पांडेय ने सुनवाई के दौरान कहा," शराब घोटाले में अवैध कारोबार एपी त्रिपाठी की निगरानी में ही हुआ है. उन्होंने सरकारी विभाग के अधिकारी होने के बावजूद भी शराब सिंडिकेट को हर तरह से फायदा पहुंचाने की कोशिश की."
झारखंड में भी शराब घोटाला की कोशिश की: पिछली सुनवाई में ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने कहा था कि अरुण पति त्रिपाठी ने अपने पति धर्म को भी बखूबी निभाया है. आबकारी विभाग के स्पेशल सेकेट्री एपी त्रिपाठी ने अपनी पत्नी के नाम एक कंपनी खोल रखी थी. ये कंपनी ड्यूपीलेकेट होलोग्राम से संबंधित थी. एपी त्रिपाठी छत्तीसगढ़ में सेंट्रल गवर्नमेंट के डेपुटेशन में आए हैं. उनका डेपुटेशन भी खत्म हो चुका है. लेकिन वे वापस नहीं जा रहे हैं. त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ में स्पेशल सेक्रेटरी होते हुए झारखंड में शराब के लिए कंसल्टेंसी शुरू की थी. हालांकि झारखंड में बात नहीं बनी, लेकिन छत्तीसगढ़ में अपने काम में सफल रहे.
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घोटाला में आबकारी अधिकारी एपी त्रिपाठी का रोल : ईडी के मुताबिक अरुण पति त्रिपाठी आबकारी विभाग में विशेष सचिव थे. साथ ही छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के एमडी भी रह चुके हैं. उन्होंने डुप्लीकेट होलोग्राम का खेल रचा, जिसके कारण राजस्व का नुकसान हुआ है. कमीशन कहां-कहां डिस्ट्रीब्यूशन किया जाएगा. उसकी स्कीम तय की गई. विदेशी शराब में कमीशन कमाने के लिए 3 लोग रखे गए. जिन्हें विदेशी शराब खरीदने और उन्हें पेमेंट करने के लिए कहा गया. उसके बाद दाम को बढ़ाकर विदेशी शराब को बेचकर प्रॉफिट कमाया गया. इस पूरे कलेक्शन का जिम्मा अरुण पति त्रिपाठी का था.