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साउथ में छाया छत्तीसगढ़ का ये सिल्क, नेचुरल कलर का होता है इस्तेमाल - छत्तीसगढ़ सिल्क

आंध्रप्रदेश के तिरुमला स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर और दिल्ली समेत देश के अन्य शहरों में स्थित उसके केंद्रों में 11 दिन का ब्रह्मोत्सव 15 मई से 25 मई तक चलेगा.

हस्तशिल्प और हाथकरघा की प्रदर्शनी

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Published : May 20, 2019, 10:31 AM IST

रायपुर: दिल्ली में इन दिनों छत्तीसगढ़ के व्यंजनों ने धूम मचाई है तो वहीं अब साउथ में प्रदेश की कोसा सिल्क छाया हुआ है. आंध्रप्रदेश के तिरुमला स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर और दिल्ली समेत देश के अन्य शहरों में स्थित उसके केंद्रों में 11 दिन का ब्रह्मोत्सव 15 मई से 25 मई तक चलेगा. देश के बाकी हिस्सों के अलावा, साउथ के लोगों ने भी छत्तीसगढ़ के कोसा सिल्क को हांथों-हाथ लिया है.

हस्तशिल्प और हाथकरघा की प्रदर्शनी
दिल्ली के तिरुपति बालाजी मंदिर में छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्प और हाथकरघा उत्पादों की प्रर्दशनी भी लगाई गई है, जो की यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है. 1.2 एकड़ में फैला भगवान तिरुपति बालाजी का दिल्ली मंदिर, बिरला मंदिर के पास नई दिल्ली के केंद्र में स्थित है.

नेचुरल डाई का इस्तेमाल
छत्तीसगढ़ के कोसा सिल्क का कपड़ा नेचुरल डाई से बना है, इस प्रकार का सिल्क देश के दूसरे राज्यों में नहीं बनता है. उल्लेखनीय है कि यहां लगाई गई छत्तीसगढ़ के हाथकरघा और हस्तशिल्प प्रदर्शनी में सिल्क के कपड़े प्राकतिक रंग से तैयार किए गये है. जैसे पीला रंग गेंदे के फूल से बनाया गया है. काला रंग मशरूम और प्याज के रंग से तैयार किया गया है. इस प्रकार कोसे के कपड़े जो थान में यहां उपलब्ध है उन पर वेजीटेबल कलर से उन्हें कलर किया गया है, जो कि यहाँ आने वाले लोगों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र बना है.

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