छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

झीरम नक्सली हमला: नए आयोग की कार्यवाही पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक - Jhiram Naxalite attack case Dharamlal Kaushik filed petition

झीरम घाटी नक्सली हमला केस में बघेल सरकार ने नए आयोग का गठन किया था. सरकार के इस फैसले के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस आयोग की वैधानिकता को चुनौती दी थी. धरमलाल कौशिक की याचिका पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए झीरम घाटी कांड पर बने नए आयोग की सुनवाई और कार्यवाही पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस केस में अगली सुनवाई चार जुलाई को होगी.

Jhiram Naxalite attack case
झीरम नक्सली हमला

By

Published : May 11, 2022, 5:07 PM IST

Updated : May 11, 2022, 9:59 PM IST

रायपुर/बिलासपुर:भूपेश सरकार द्वारा झीरम मामले पर गठित नए न्यायिक जांच आयोग को कार्यवाही से हाईकोर्ट ने रोक दिया है. चीफ जस्टिस अरूप गोस्वामी और जस्टिस सामंत की डबल बेंच ने हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया. आयोग ने राज्य सरकार और आयोग को नोटिस जारी किया है. इस याचिका पर अगली सुनवाई चार जुलाई को होगी. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने झीरम हमले पर नए आयोग की वैधानिकता को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

कब आएगा झीरम हमले का सच ?
झीरम नक्सली हमले की जांच के लिए बने नए आयोग की कार्यवाही पर रोक:धरमलाल कौशिक की इस याचिका में झीरम मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग के साथ साथ नए आयोग के गठन को चुनौती दी गई है. उच्च न्यायालय में यह याचिका सबसे पहले 13 अप्रैल को पेश हुई थी. इस याचिका पर सुनवाई 29 अप्रैल को होनी थी, लेकिन उस दिन याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पेश नहीं हुए थे. जिसके बाद बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका को सुनवाई के लिए कोर्ट ने स्वीकार किया और नए न्यायिक जांच आयोग की कार्यवाही पर रोक लगा दी गई.

ये भी पढ़ें :झीरम घाटी नक्सली हमला: झीरम हत्याकांड में जांच आयोग ने शुरू की सुनवाई

झीरम पर नए आयोग की वैधानिकता को धरमलाल कौशिक ने दी थी चुनौती:याचिकाकर्ता धरमलाल कौशिक ने इस आयोग की वैधता को लेकर भी सवाल किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि जब पहले से ही एक कमीशन बनाया गया है तो दूसरे कमीशन को बनाने की क्या आवश्यकता है. जिसे कोर्ट के द्वारा स्वीकार किया गया. कौशिक ने दायर याचिका में बताया है कि पूर्व में राज्य सरकार ने झीरम घाटी कांड की जांच के लिए हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था. आयोग ने 8 साल तक इस केस में सुनवाई की. उसके बाद जांच रिपोर्ट राज्य शासन को सौंपी. कौशिक ने मांग की इस रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर प्रस्तुत करना चाहिए . लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया और पांच महीने पहले झीरम हमला केस में नए जांच आयोग का गठन कर दिया. दो सदस्यीय रिटायर्ड जस्टिस सुनील अग्निहोत्री और जस्टिस मिन्हाजुद्दीन की अगुवाई में नए आयोग का गठन किया गया.



कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाए आरोप: इस मामले को लेकर कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि "भाजपा नहीं चाहती है कि झीरम का सच सामने आए, इसलिए भारतीय जनता पार्टी के द्वारा लगातार झीरम मामले की जांच में अड़ंगा लगाया जा रहा है. राज्य सरकार के द्वारा आयोग के कार्यकाल को आगे बढ़ाया गया, जिससे झीरम के षड्यंत्र की जांच हो सके. लेकिन नेता प्रतिपक्ष के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी मामले को कोर्ट में ले गई और आयोग की जांच पर रोक लगाना चाहती है. इससे साफ जाहिर है कि भारतीय जनता पार्टी नहीं चाहती है कि झीरम का सच सामने आए. भाजपा क्यों डर रही है, क्या ऐसा कारण कि भारतीय जनता पार्टी झीरम के हत्यारों को बचाना चाहती है.

झीरम मामले में सीएम का जवाब :इस दौरान झीरम जांच आयोग मामले पर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) की रोक पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भाजपा और खासकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक हर जांच को पूरी होने से रोकते हैं. नान मामले के बाद अब झीरम की जांच को रोक रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक कि आखिर परेशानी क्या है , एनआईए से हमने डायरी मांगी नहीं दिए.

ये भी पढ़ें:झीरम घाटी हत्याकांड: NIA की अपील खारिज, अब राज्य की जांच एजेंसी जांच के लिए स्वतंत्र



क्या है पूरा मामला:इस याचिका के जरिए झीरम पर बने पहले न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने की मांग की गई है. यह जांच आयोग 28 मई 2013 को गठित किया गया था. इस एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत मिश्रा थे. करीब दस साल तक की जांच के बाद जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को राज्यपाल को सौंपा था. प्रशांत मिश्रा ने 4184 पन्नों की रिपोर्ट छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के तत्कालीन रजिस्ट्रार संतोष तिवारी के जरिए 6 नवंबर 2021 को राज्यपाल अनुसईया उइके को सौंपा था.

राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपने पर हुई थी सियासत:न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंपे जाने पर छत्तीसगढ़ में खूब सियासत हुई थी. राज्यपाल ने इस रिपोर्ट को राज्य सरकार को सौंप दिया था. जिसके बाद राज्य सरकार ने जांच रिपोर्ट को अपूर्ण बताते हुए नए आयोग का गठन किया था. इस मुद्दे पर बीजेपी ने आरोप लगाते हुए कहा था कि इस रिपोर्ट में राज्य सरकार के प्रभावी व्यक्तियों के खिलाफ टिप्पणी और निष्कर्ष है. इसलिए सरकार ने नए आयोग का गठन किया है.

ये भी पढ़ें:छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में झीरम कांड को लेकर याचिकाओं पर अब भी लंबित है सुनवाई


कब हुआ था झीरम घाटी नक्सली हमला:25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के काफिले पर हमला कर दिया था. इस नरसंहार में कांग्रेस के तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा और सुरक्षाबलों सहित 29 लोगों की मौत हो गई थी. इसमें कांग्रेस के 20 से ज्यादा नेता मारे गए थे. बताया जाता है कि बस्तर में रैली खत्म होने के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला सुकमा से जगदलपुर जा रहा था. काफिले में करीब 25 गाड़ियां थीं. जिनमें लगभग 200 नेता सवार थे. तभी नक्सलियों ने घात लगाकर हमला कर दिया. उस समय राज्य में बीजेपी की सरकार थी और रमन सिंह सीएम थे. कांग्रेस ने इस हत्याकांड में राजनैतिक षडयंत्र और राज्य सरकार पर जानबूझकर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था.

Last Updated : May 11, 2022, 9:59 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details