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SPECIAL: क्वॉरेंटाइन सेंटर में कितनी गर्भवती महिलाएं, खुद स्वास्थ्य विभाग अनजान

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भले ही क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में गर्भवती महिलाओं के लिए खास देखभाल के निर्देश दिए हैं. लेकिन लगता है स्वास्थ्य विभाग के आदेश को सीरियस नहीं ले रहा है. राजधानी रायपुर में बैठे जिम्मेदारों के पास ये आंकड़ा ही नहीं है कि सेंटर में कितनी गर्भवती महिलाएं हैं.

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क्वॉरेंटाइन सेंटर में गर्भवती महिलाओं के आंकड़े मौजूद नहीं

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Published : Jun 9, 2020, 1:29 PM IST

रायपुर: कोरोना संक्रमण को मात देने में अहम कदम उठाने के लिए जिस छत्तीसगढ़ की तारीफ WHO और राष्ट्रपति ने की थी, आज उस प्रदेश में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा 12 सौ के करीब पहुंच गया है. राज्य सरकार कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़ों को कम करने व्यापक स्तर पर तैयारी किए जाने के दावे तो कर रही है, लेकिन इन दांवों की सच्चाई खुद सरकार के नुमाइंदे भी नहीं बता पा रहे हैं.

स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं आंकड़े

क्वॉरेंटाइन सेंटर में गर्भवती महिलाओं के आंकड़े मौजूद नहीं

इसका उदाहरण इस मामले से भी देखने को मिल रहा है कि राज्य सरकार ने गर्भवती महिलाओं को अलग से क्वॉरेंटाइन करने की व्यवस्था किए जाने के आदेश दिए ताकि गर्भवती महिलाओं को कोरोना संक्रमण से बचाया जा सके, लेकिन इस आदेश की पोल इसी बात से खुलती नजर आ रही है कि शासन-प्रशासन के पास इस बात के आंकड़े ही नहीं है कि प्रदेश के क्वॉरेंटाइन सेंटर में कितनी गर्भवती महिलाओं को ठहराया गया है, ऐसे में उनके लिए समुचित व्यवस्था करना दूर की बात है.

स्वास्थ्य मंत्री ने दिए खास देखभाल के निर्देश

प्रदेश के अलग-अलग जिलों के क्वारेंटाइन सेंटर में दूसरे राज्यों से आई गर्भवती महिलाओं के रखे जाने के मामले सामने आ रहे है. कुछ क्वॉरेंटाइन सेंटर में इन गर्भवती महिलाओं का प्रसव भी कराया गया है जिसके कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है. क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखी गई गर्भवती महिलाओं को हो रही परेशानी की जानकारी जब स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को हुई तो उन्होंने तुरंत स्वास्थ्य विभाग को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखी गई गर्भवती महिलाओं को अलग से और उचित देखभाल करने के निर्देश दिए,ताकि जच्चा-बच्चा को किसी भी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े.

मंत्री के आदेश पर गंभीर नहीं स्वास्थ्य विभाग

लेकिन मंत्री के इस आदेश का स्वास्थ्य विभाग ने अब तक पालन ही नहीं किया है. इस बारे में जब ETV भारत की टीम ने स्वास्थ्य विभाग के महकमे से जानने की कोशिश की तो अधिकारी ने आंकड़ें उपलब्ध नहीं होने की बात बताई.

हालांकि आदेश के बाद कागजों पर गर्भवती महिलाओं को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखने की योजना बना ली गई है.स्वास्थ्य विभाग के PRO अखिलेश त्रिपाठी ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को तीन कैटेगरी में बांटा गया है. शुरू के तीन महीने वाली गर्भवती महिलाओं को अलग, छह माह की गर्भवती महिलाओं को अलग और 9 माह की गर्भवती महिलाओं को उनकी स्थिति के आधार पर बांट कर उनकी देखभाल की जा रही है.

सिर्फ फाइलों में व्यवस्थाओं का क्रियान्वयन

अब देखने वाली बात है कि शासन-प्रशासन की तरफ से गर्भवती महिलाओं को रखने और उन्हें स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने किस तरह से योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाए जाता है, क्योंकि ना तो इनके पास गर्भवती महिलाओं के आंकड़े हैं और ना ही उन्हें रखने के लिए अलग से कोई व्यवस्था की गई है, ऐसे में व्यवस्थाएं सिर्फ फाइलों में ही नजर आ रही है.

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