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छत्तीसगढ़ शासन ने मजदूरों को एक साथ भुगतान के लिए केंद्रीय ग्रामीण मंत्रालय को लिखा पत्र - मनरेगा मजदूरों को समय पर भुगतान

मनरेगा के तहत काम कर रहे सभी मजदूरों को एक साथ भुगतान करने के लिए छत्तीसगढ़ पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को पत्र लिखा है. जिसमें केंद्र से समय पर राशि देने की मांग की गई है. जिससे कि सभी श्रमिकों को समय पर और एक साथ भुगतान किया जा सके.

cg government wrote a letter to central rural development department
मनरेगा मजदूर

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Published : May 14, 2021, 5:00 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को पत्र लिखा है. पत्र में सभी वर्गों के श्रमिकों के मजदूरी भुगतान में एकरूपता किए जाने का आग्रह किया गया है. ग्रामीण विकास विभाग ने मनरेगा के संयुक्त सचिव को लिखे पत्र के जरिए ये जानकारी दी है कि मनरेगा के तहत एक ही ग्राम पंचायत में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अन्य वर्ग के श्रमिकों को मजदूरी के भुगतान के लिए एफपीओ जारी किया गया था. इसमें से केवल अन्य वर्ग को ही भुगतान हो रहा है. अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के श्रमिकों का भुगतान नहीं हो रहा है. वित्तीय वर्ष 2020- 21 तक मनरेगा के तहत सभी वर्ग के श्रमिकों का भुगतान एक नोडल खाते से NFMS के जरिए हो रहा था.

मार्च में खोले गए खाते

राज्य शासन ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेजे पत्र में बताया है कि भारत सरकार की ओर से मजदूरी भुगतान के लिए नया नियम लागू करने के कारण ये समस्या हो रही है. भारत सरकार ने 1 अप्रैल 2021 से मजदूरी भुगतान के लिए राशि को वर्गवार (सामान्य और अजा एवं अजजा) जारी किए जाने का प्रावधान किया है. जिसके तहत राज्य सरकार ने अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग के लिए मार्च में खाते खोले हैं.

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सामान्य वर्ग के लिए आए थे 240 करोड़

सामान्य वर्ग के श्रमिकों के भुगतान के लिए भारत सरकार से 26 अप्रैल 2021 को 240 करोड़ 80 लाख रुपये मिले हैं. जिसे सामान्य वर्ग के श्रमिकों के खाते में डाला जा रहा है. इसी तरह अनुसूचित जाति वर्ग के श्रमिकों के लिए 5 मई 2021 को 5 करोड़ 26 लाख रुपये और अनुसूचित जनजाति के श्रमिकों के लिए 11 मई 2021 को 120 करोड़ 90 हजार रुपये मिले हैं.

लोगों की कमी की वजह से लग रहा समय

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति वर्ग के तहत मिली राशि से भुगतान नहीं हो पाने के संबंध में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अवर सचिव से चर्चा की गई है. वर्गवार भुगतान संबंधी परिवर्तन के कारण ग्रामीण विकास मंत्रालय स्तर पर राज्य के लिए नामित डीडीओ को एक दिन में ही कई बार एफपीओ पर डिजिटल हस्ताक्षर करने पड़ रहे हैं. वर्तमान में लॉकडाउन के कारण उन्हें यह कार्य सीमित संसाधनों के साथ घर पर करना पड़ रहा है. इसलिए ज्यादा समय लग रहा है.

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