रायपुर: छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों में रहने वाले वो बच्चे जो NEET क्वॉलीफाई करने के बाद भी काउंसिलिंग में शामिल नहीं हो पाए थे, उनका करियर खराब नहीं हो, इसके लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि जो बच्चे NEET क्वॉलीफाई करके भी काउंसिलिंग के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करा सके, उनका एडमिशन निजी मेडिकल कॉलेज में पेमेंट सीट पर कराने के लिए जरूरी कार्रवाई की जाए. छत्तीसगढ़ बनने के बाद ऐसा पहली बार है जब एमबीबीएस के लिए निजी कॉलेजों के पेमेंट सीट पर बच्चों के एडमिशन का खर्च राज्य सरकार उठाएगी.
ETV भारत ने मंगलवार (एक दिसंबर) को ये खबर आप तक पहुंचाई थी कि सर्व आदिवासी समाज नक्सल प्रभावित क्षेत्र की आदिवासी बच्चियों के NEET एग्जाम में क्वॉलीफाई होने के बावजूद काउंसिलिंग में शामिल न हो पाने की वजह से नाराज है. समाज के लोगों का कहना है कि शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही और झूठ की वजह से उनकी बेटियों के हाथ से ये मौका निकल गया. नाराज सर्व आदिवासी समाज ने इस मामले में एक अहम बैठक बुलाई है.
सीएम ने दिए निर्देश
आदिवासी समाज का कहना है कि उनके द्वारा पहले ही इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और स्थानीय विधायक को ज्ञापन दिया जा चुका है, लेकिन अब तक इस मामले में प्रशासन की तरफ से पहल नहीं की गई है. बुधवार को इस मामले में सीएम भूपेश बघेल ने जरूरी कार्रवाई करने का निर्देश जिला प्रशासन को दिया.
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दंतेवाड़ा के 27 बच्चों ने किया क्वॉलीफाई
दूरस्थ आदिवासी अंचलों में रहने वाले कई बच्चे नेटवर्क की परेशानी की वजह से NEET क्वॉलीफाई करने के बाद भी काउंसिलिंग के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करा सके थे. दंतेवाड़ा जिले के 27 होनहार छात्र-छात्राओं ने नीट क्वॉलीफाई किया था, लेकिन उनका रजिस्ट्रेशन काउंसिलिंग के लिए नहीं हो सका था. इस बात की जानकारी मिलते ही सीएम भूपेश बघेल ने जिला प्रशासन को जरूरी कार्रवाई करने के निर्देश दिए.