रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है. छत्तीसगढ़ से ऐसी तमाम खबरें सामने आई हैं, जिसमें मरीज और उनके परिजनों ने ऑक्सीजन बेड न मिलने की शिकायत की है. कहीं हालत खराब होने पर भी घंटों इंतजार करना पड़ा है. राज्य सरकार दावा कर रही है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है. ETV भारत ने जब इसकी पड़ताल की थी तो रायपुर और दुर्ग जिले में न सिर्फ ऑक्सीजन सिलेंडर के दाम बढ़ने की बात सामने आई बल्कि सप्लायरों ने डिमांड के हिसाब से कम सप्लाई की बात कही.
रायपुर में अस्पताल प्रबंधन भी मान रहे हैं कि जिस अनुपात में कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन बेड चाहिए वह उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. ऑक्सीजन के स्टॉक को लेकर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि वे आवश्यकता अनुसार समय-समय पर ऑक्सीजन की मांग करते हैं. जिस अनुपात में ऑक्सीजन प्लांट उन्हें ऑक्सीजन आपूर्ति करते हैं कई बार यह आपूर्ति मांग से कुछ कम होती है, लेकिन वे भी ऑक्सीजन स्टॉक करके नहीं रख सकते.
सरकार की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार 15 अप्रैल की स्थिति में-
- छत्तीसगढ़ में प्रतिदिन 386.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस का उत्पादन
- ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों के लिए हर रोज 110.30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में बीते 14 मार्च से ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि होने से ऑक्सीजन की खपत बढ़ी है. 14 मार्च की स्थिति में राज्य में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मात्र 197 मरीज के लिए 3.68 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता थी जो 15 अप्रैल की स्थिति में बढ़कर 110.30 मीट्रिक टन हो गई. 15 अप्रैल की स्थिति में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या 5898 थी.
जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन उत्पादन का दावा, फिर भी नहीं कम हो रही मौतें
राज्य में पीएसए ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट की संख्या कुल 27 है. इनसे रोजाना 176.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस का उत्पादन किया जा रहा है. इसके अलावा राज्य में दो लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन मैन्युफैक्चर रोजाना 210 मीट्रिक टन एयर डेस्टिलेशन यूनिट और पीएसए ऑक्सीजन जनरेट कर रहा है. इस प्रकार राज्य में कुल 29 प्लांट से 386.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन किया जा रहा है.
भिलाई इस्पात संयंत्र में लगातार ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित ऑक्सीजन प्लांट-2 जो कि प्रतिदिन 25 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करता है. भिलाई इस्पात संयंत्र परिसर में संचालित 'बिल्ड, ऑन ऑपरेट' यानी बीओओ-आधारित मैसर्स प्रॉक्स एयर से 240 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. इस प्रकार भिलाई इस्पात संयंत्र प्रतिदिन 265 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहा है. अप्रैल 2020 से 15 अप्रैल 2021 के बीच कुल 2410 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में संचालित अस्पतालों को की जा चुकी है.
दुर्ग में ऑक्सीजन है, तो क्यों हो रही हैं मौतें ?
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में कोरोना मरीजों की मौत का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोजाना 20 से ज्यादा लोगों की जान जा रही है. कई ऐसे केस सामने आए हैं जिनमें मरीजों को अस्पताल मिला तो बेड नहीं मिला या बेड मिला तो ऑक्सीजन के लिए तरस गए. कोरोना से मरने वालों की मेडिकल केस हिस्ट्री देखें तो इससे भी साफ होता है कि ज्यादातर मरीज सांस संबंधी दिक्कत से मौत का शिकार हो रहे हैं. लेकिन सीएमएचओ का कहना है कि लोग ऑक्सीजन लेलव बहुत डाउन होने के बाद अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिससे उनको बचाना मुश्किल हो जाता है. अधिकारी ने दावा किया है कि ऑक्सीजन की कमी नहीं है.
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पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन, फिर भी मौत
दुर्ग जिले में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है. इसमें सिर्फ सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के संचालित ऑक्सीजन प्लांट-2 में रोजाना 25 टन मेडिकल ऑक्सीजन और मेसर्स प्रॉक्स एयर से 240 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. इस प्रकार भिलाई इस्पात संयंत्र प्रतिदिन 265 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहा है. हालांकि जिले में बेड फुल हैं और लोगों को भर्ती होने में परेशानी हो रही है.
ऑक्सीजन लेवल कम होने पर पहुंच रहे मरीज