रायपुरः रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहन के मजबूर रिश्ते और बंधन के लिए समर्पित होता है, तो वहीं राखी के अगले दिन को भी छत्तीसगढ़ में खास रूप मे मनाते हैं. ये दिन छत्तीसगढ़ में दोस्ती के नाम किया गया है. आज राज्यभर में भोजली का त्योहार मनाया गया. ये त्योहार छत्तीसगढ़ में फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाया जाता है.
देश के अलग अलग हिस्सों में भोजली पर्व मनाया जाता है. भले ही इसका नाम कहीं भुजरिया,जवारां तो कही फूलरिया है. लेकिन इस पर्व पर अच्छी फसल की कामना के लिए देवी की पूजा-अर्चना होती है. भोजली का सीधा अर्थ 'भू-जल में बढ़ोतरी की कामना' भी होता है. साथ ही यह पर्व समरसता व मित्र का पर्व भी है. छत्तीसगढ़ में भोजली पर्व न केवल मैदानी भागों में बल्कि वनांचल में रहने वाले वनवासियों द्वारा भी मनाया जाता है.
अच्छी बरसात की करते है कामना
राखी के दूसरे दिन भोजली पर्व करीब-करीब पूरे छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है. नाग पंचमी के दिन से यह पर्व शुरू होकर राखी के दूसरे दिन तक चलता है. नाग पंचमी के दिन ग्रामीणों के घरों में गेंहू को भींगो कर अंकुरण के लिए रखा जाता है. नवमी के दिन बुआई होती है. बुआई के बाद रोज भोजली की पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्रि की तरह ही भोजली देवी की पूजा होती है, जिसमें भोजली को जल्द बढ़ने की कामना की जाती है. इस तरह से भोजली के बढ़ने के साथ ही यह संकेत मिलता है कि, इस बार भी फसल अच्छी होगी. इसके साथ ही अच्छी बरसात की कामना भी की जाती है. ताकी भोजली और फसल की बढ़ोतरी भी हो सके.
दोस्ती का संबंध जोड़ने का है रिवाज
दरअसल, यह समय अच्छी बरसात व फसल के लिए है. कुछ दिनों बाद ही हलष्ठी का पर्व भी मनाया जाएगा जो कि, तालाब के पूजन का पर्व है. भोजली पर्व एक तरह से प्रेम और समरसता का भी पर्व है क्योंकि भोजली विसर्जन के दिन गेंहू पौधे को एक दूसरे को आदान प्रदान भी किया जाता है. इससे पुरानी दुश्मनी भी दूर हो जाती है. जबकि दोस्ती का संबंध जोड़ने का भी रिवाज है. एक दूसरे के कान में भोजली लगाकर पूरी जिन्दगी दोस्ती निभाने का संकल्प किया जाता है. इस तरह से इस पर्व से देवी साधना के साथ ही पर्यावरण की रक्षा, फसल की उन्नति की कामना है तो वहीं मित्रता का संदेश भी है.