रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर समेत पूरे प्रदेश में कर्मचारी और अधिकारी संघ फिर से लामबंद है. कर्मचारी संघ 25 जुलाई से 29 जुलाई के बीच हुए आंदोलन को लेकर सरकार की तरफ से जारी नए आदेश को लेकर नाराज है. इस आदेश में शासकीय कर्मचारियों और अधिकारियों का वेतन काटने और ब्रेक इन सर्विस की बात कही गई है. जिससे कर्मचारी और अधिकारी संघ बेहद नाराज है. रविवार को कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने प्रदेश स्तर पर बैठक आयोजित करके वेतन काटे जाने का विरोध जताने के साथ ही वेतन काटने के आदेश की प्रतियां भी जलाई. विरोध प्रदर्श के बाद निर्णय लिया गया कि 22 अगस्त से अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे. इसकी सूचना सोमवार 1 अगस्त को मुख्य सचिव अमिताभ जैन को दी जाएगी.
छत्तीसगढ़ कर्मचारी और अधिकारी फेडरेशन फिर करेगा हड़ताल, जानिए क्या है वजह ?
छत्तीसगढ़ में कर्मचारी और अधिकारी फेडरेशन की हड़ताल एक बार फिर शुरू होने की नौबत आ गई है. बीते दिनों आंदोलन के बाद सरकार ने शासकीय कर्मचारियों और अधिकारियों का वेतन काटने और ब्रेक इन सर्विस का आदेश जारी किया था. जिसके बाद कर्मचारियों और अधिकारियों में गुस्सा है. अब छत्तीसगढ़ कर्मचारी और अधिकारी फेडरेशन फिर सरकार को धमकी दे रहा है.
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बघेल सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप: छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन रायपुर संभाग के संयोजक अजय तिवारी ने बताया कि "हमारी तीन सूत्रीय मांगों में मांग महंगाई भत्ता गृह भाड़ा भत्ता में बढ़ोतरी शामिल है. जबकि तीसरी मांग अनियमित कर्मचारियों से जुड़ी हुई है. इसमें कर्मचारियों को नियमित किए जाने की मांग है." अजय तिवारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में चार अलग अलग कैटेगरी में महंगाई भत्ता दिया जा रहा है. आईएएस अधिकारियों को 34% महंगाई भत्ता दिया जा रहा है. बिजली विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को 28% महंगाई भत्ता दिया जा रहा है. पेंशनर को 17% का महंगाई भत्ता दिया जा रहा है और राज्य के कर्मचारियों को 22% महंगाई भत्ता दिया जा रहा है. केंद्र सरकार की तुलना में राज्य सरकार के कर्मचारी और अधिकारियों को 12% महंगाई भत्ता कम मिल रहा है. जिसके विरोध में प्रदर्शन किया जा रहा है." उन्होंने आगे बताया कि "1 साल में दो बार विधायकों का महंगाई भत्ता बढ़ता है. इस तरह का भेदभाव या असमानता राज्य सरकार के कर्मचारी और अधिकारियों के साथ क्यों हो रहा है"
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