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Chhattisgarh Election 2023 : चुनाव में दलों के लिए बूथ मैनेजमेंट के क्या हैं मायने ? - छ्त्तीसगढ़ कांग्रेस ने शुरु किया बूथ चलो अभियान

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही तैयारियों में जुटे हुए हैं.कांग्रेस जहां अपने काम को लेकर जनता के बीच जाएगी वहीं दूसरी तरफ बीजेपी कांग्रेस के कार्यकाल में किए गए वादों और नहीं हुए कामों को लेकर जनता से वोट मांगेगी. वहीं चुनाव से पहले दोनों ही दल बूथ स्तर पर खुद को मजबूत करने में जुट चुके हैं.Chhattisgarh Election 2023

significance of booth management
चुनाव के लिए बूथ मैनेजमेंट के क्या हैं मायने

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Published : Jun 30, 2023, 2:24 PM IST

Updated : Jul 1, 2023, 12:27 AM IST

राजनीतिक दलों के लिए बूथ मैनेजमेंट क्यों अहम ?

रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों ने बूथ मैनेजमेंट पर फोकस करना शुरु किया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भोपाल के कार्यक्रम में मेरा बूथ सबसे मजबूत अभियान की शुरुआत की. वहीं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने बूथ चलो अभियान शुरु किया है.ताकि वोटर्स तक पार्टी की सीधी पहुंच हो सके. लेकिन क्यों अब राजनीतिक दलों को बूथ पर फोकस करना पड़ रहा है.हमारी टीम ने ये जानने की कोशिश की है.


छ्त्तीसगढ़ कांग्रेस ने शुरु किया बूथ चलो अभियान : बात यदि छत्तीसगढ़ की हो तो सबसे पहले बात सत्ताधारी दल कांग्रेस की. ऐसा माना जाता है कि यदि आपको छत्तीसगढ़ की सत्ता हासिल करनी है तो सबसे पहले बस्तर फतह करना होगा.बस्तर को लेकर सभी दलों की एक राय है.लिहाजा कांग्रेस ने बूथ चलो अभियान की शुरुआत बस्तर से की. प्रदेश प्रभारी कुमारी सेलजा समेत पार्टी के दिग्गज नेताओं ने बस्तर में इस अभियान को लॉन्च किया.जिसमें कांग्रेस के नेता जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के सहारे लोगों तक पहुंच रहे हैं.

हर बूथ पर पकड़ बनाना चाहती है कांग्रेस : कांग्रेस अब हर बूथ पर अपनी पकड़ बनाना चाहती है.जिसमें वो महिलाओं,बुजुर्गों और बच्चों को भी शामिल करना चाह रही है. वहीं चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ काम करने वाले संगठन भी बूथ चलो अभियान में जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. एनएसयूआई और युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में मोर्चा संभाला है.ताकि विधानसभा के साथ-साथ आने वाले लोकसभा चुनाव की भी तैयारी हो जाए.वहीं प्रदेश प्रभारी कुमारी सेलजा ने बीजेपी के मेरा बूथ मेरा अभियान को सिर्फ एक इवेंट माना है.

''बीजेपी का मेरा बूथ मेरा अभियान सिर्फ एक इवेंट है,बैठक और सजावट के सिवा कुछ नहीं'': कुमारी शैलजा,प्रदेश प्रभारी कांग्रेस

पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं से किया सीधा संवाद : बीजेपी ने कांग्रेस की इस बात से इत्तेफाक जताते हुए अपनी तैयारियों पर ही जोर दिया है. बीजेपी के पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने मेरा बूथ मेरा अभियान कार्यक्रम पर अपनी राय दी है. राजेश मूणत ने बीजेपी के इस अभियान को सराहते हुए पीएम मोदी की तारीफ भी की है.

बूथ अभियान में बीजेपी ज्यादा सक्रिय

क्या होता है बूथ मैनेजमेंट :चुनाव से पहले हर दल सबसे पहले अपने बूथ पर फोकस करता है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने बूथ चलो अभियान शुरु किया है तो वहीं बीजेपी ने मेरा बूथ सबसे मजबूत के माध्यम से कार्यकर्ताओं में जोश भरा. बूथ मैनेजमेंट चुनाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण है.चुनाव के दौरान बूथ के लिए पन्ना प्रभारी भी बनाए जाते हैं.मतदाताओं के पेज की जिम्मेदारी पन्ना प्रभारियों की होती है. पन्ना प्रभारी ही मतदाताओं से संपर्क करके बूथ प्रभारी को रिपोर्ट देते हैं.चुनाव के दौरान कितने लोग आए,कितने लोग नहीं आए, किन्होंने कब वोट डाला और कौन वोट डालने की बात कहकर नहीं पहुंचा ये सारी रणनीति बूथ स्तर पर ही तैयार होती है.


छत्तीसगढ़ में कितने बूथ :वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा की माने तो हर बूथ में लगभग दो से ढाई हजार वोटर होते हैं. छत्तीसगढ़ में लगभग 23000 बूथ हैं. जहां राजनीतिक दलों को मैनेजमेंट करना पड़ता है.बूथ मैनेजमेंट के तहत एक प्रभारी होता है. उसके अंदर 5-6 लोगों की टीम होती है.कोशिश की जाती है कि वह उसी जगह का हो जहां बूथ है. उसके नीचे पन्ना प्रभारी होता है जो वोटर्स को घरों से निकालकर लाते हैं. पर्ची देने सहित अन्य प्रक्रिया संपन्न कराते हैं.''

बीजेपी का बूथ मैनेजमेंट सबसे बेहतर:उचित शर्मा कहना की माने तो प्रदेश में सबसे ज्यादा बूथ भाजपा का मजबूत है. क्योंकि उनका बूथ मैनेजमेंट सबसे बेहतर है. वह नीचे स्तर से लेकर काम करते हैं भाजपा में सिर्फ भाजपा के लोग ही नहीं उनके सहयोगी संगठन और संस्थान भी हैं. जो बूथ को मजबूती प्रदान करते हैं. जो दूसरे राजनीतिक दलों में देखने को नहीं मिलता है.

बूथ मैनेजमेंट पर एक्सपर्ट की राय

आपको बता दें कि बूथ मैनेजमेंट के तहत जो बूथ प्रभारी होते हैं या उसके कार्यकर्ता होते हैं. यदि वो सत्ता पक्ष के होते हैं तो अपने वोटर्स को सत्ता पक्ष की सारी जानकारी और योजनाओं से मिलने वाले फायदों को गिनाते हैं.ताकि वोटर्स उनकी पार्टी को ही वोट डालने का मन बना ले.वहीं दूसरी तरफ यदि दूसरे दल के बूथ प्रभारी सरकार की नाकामियों और कमजोरियों को वोटर्स के सामने लाते हैं.ताकि वो वोटिंग करते समय एक बार जरुर सोचे.इसलिए बूथ मैनेजमेंट का काम हर दल मजबूती से करना चाहता है.क्योंकि स्थानीय सीधे वोटर्स के संपर्क में रहते हैं और यही वोटर राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों का फैसला करते हैं.

Last Updated : Jul 1, 2023, 12:27 AM IST

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