Chhattisgarh Election 2023: जानिए धरसींवा विधानसभा सीट का चुनावी गणित, औद्योगिक क्षेत्र होने के बाद भी यहां है समस्याओं का अंबार ?
Chhattisgarh Election 2023 विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर पार्टियों ने कमर कस ली है. राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं. रायपुर जिले के धरसींवा विधानसभा सीट का ज्यादातर हिस्सा औद्योगिक क्षेत्र में आता है. सीमेंट प्लांट से लेकर रेलिंग मिल के चलते प्रदूषण चरम पर है. इससे निबटना भी बड़ी चुनौती है. आइए जानते हैं धरसींवा विधानसभा सीट का चुनावी गणित. Dharsiwa Assembly Seat profile
धरसींवा विधानसभा सीट का चुनावी गणित
By
Published : Aug 6, 2023, 4:49 PM IST
रायपुर:धरसींवा विधानसभा क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा औद्योगिक क्षेत्र में आता है. इस विधानसभा क्षेत्र में 90 के दशक में ही औद्योगिकरण की शुरुआत हुई. इसके बाद से लगातार यहां उद्योग धंधे बढ़ने लगे. वर्तमान में खेती बाड़ी के लिए महज कुछ हिस्सा ही बाकी है. यह विधानसभा सीट सामान्य श्रेणी में है. वर्तमान में यहां से कांग्रेस की अनीता शर्मा विधायक हैं. अनीता शर्मा कांग्रेस नेता योगेंद्र शर्मा की पत्नी हैं, जिनकी साल 2013 में झीरम घाटी नक्सली हमले में मौत हो गई थी. उस दौरान कांग्रेस ने उनकी पत्नी अनीता शर्मा को धरसींवा से टिकट दिया. लेकिन वे 2000 वोटों से हार गई. हालांकि 2018 में भी कांग्रेस ने फिर से अनिता को टिकट दिया और इस बार वे लगभग 19400 मतों से विजयी रहीं. धरसींवा विधायक चुने जाने के बाद अनीता शर्मा को छत्तीसगढ़ विधानसभा में सरकारी उपक्रमों और प्रत्यायुक्त विधानसभा समिति का सदस्य भी बनाया गया.
कैसा है धरसींवा विधानसभा क्षेत्र का स्वरूप ?:राजधानी रायपुर से 21 किलोमीटर दूर धरसींवा विधानसभा क्षेत्र का आधा हिस्सा औद्योगिक क्षेत्र बन चुका है. इसके चलते यहां गांव और शहर का मिलाजुला स्वरूप देखने को मिलता है. 90 के दशक में जब से यहां उद्योग लगने शुरू हुए, जमीनों की कीमतें आसमान छूती चली गईं. कुछ लोगों ने जमीन बेचकर यहां व्यापार खड़ा किया. विकास के नाम पर नाली, सड़क, बिजली, पानी मुहैया कराया गया. राष्ट्रीय राजमार्ग-200 के किनारे बसा यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी विधानसभा में शामिल है. धरसींवा विधानसभा क्षेत्र के सीमाओं की बात की जाए तो यह रायपुर ग्रामीण, आरंग, कसडोल और बलोदा बाजार विधानसभा क्षेत्र से मिलती है. धरसीवा विधानसभा क्षेत्र में 100 से अधिक स्कूल हैं तो वहीं तीन कॉलेज और आईटीआई भी है.
धरसींवा विधानसभा सीट की डेमोग्राफी:विधानसभा चुनाव 2018 के मुताबिकरायपुर के धरसींवा विधानसभा क्षेत्र में कुल वोटरों की संख्या 209629 है. इनमें 105723 पुरुष और 103900 महिला मतदाता शामिल हैं. थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या महज 6 है. यहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले कम है.
धरसींवा विधानसभा सीट की डेमोग्राफी
धरसींवा विधानसभा सीट के प्रमुख मुद्दे और समस्याएं:धरसींवा विधानसभा में बिजली, पानी, सड़क की सुविधा तो बेहतर है लेकिन यहां के लोगों को भारी प्रदूषण का सामना करना पड़ता है. यहां सीमेंट प्लांट से लेकर रेलिंग मिल तक सभी उद्योग हैं. औद्योगिक क्षेत्र होने की वजह से यहां धुंए का गुबार चारों ओर देखने को मिलता है. लोगों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है. यही वजह है कि यहां सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा प्रदूषण रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों ने प्रदूषण को ही मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा और जीतने के बाद इसी मुद्दे को किनारे कर दिया. यही वजह है कि आज भी यह क्षेत्र भारी प्रदूषण की समस्या झेल रहा है. हालांकि लगातार स्थापित हो रहे उद्योगों की वजह से यहां रोजगार की समस्या न के बराबर है. लोगों को रोजगार मिल रहा है. हालांकि अब रोजगार के अवसर पर भी बाहरी लोगों के कब्जे में होने से स्थानीय बेरोजगारों के सामने एक बड़ी चुनौती है.
2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर:पिछले विधानसभा चुनाव 2018 की बात की जाए तो उस दौरान कुल 164607 वोट पड़े थे. इसमें 83301 पुरुष और 80604 महिला मतदाताओं ने वोट किए. डाक मतपत्रों की संख्या 702 थी. यहां कुल मतदान 78.47 परसेंट था. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अनीता योगेंद्र शर्मा को 78989 वोट मिले, जो कुल मतदान का 48 परसेंट रहा. वहीं भाजपा के देवजीभाई पटेल को 59589 वोट मिले यानी लगभग 36.23 परसेंट. इस विधानसभा चुनाव पर कांग्रेस उम्मीदवार अनीता योगेंद्र वर्मा ने 19400 मतों के अंतर से जीत हासिल की.
2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर
धरसींवा विधानसभा सीट का जातिगत समीकरण:धरसींवा विधानसभा क्षेत्र में साहू और कुर्मी मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. जबकि देवांगन और सतनामी समाज के मतदाता चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. राज्य गठन के पहले कांग्रेस के विधान मिश्रा ने इस क्षेत्र से विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की. उन्हें जोगी सरकार में मंत्री बनाया गया था, लेकिन राज्य गठन के बाद हुए 3 विधानसभा चुनावों में भाजपा के देवजी भाई पटेल लगातार विजई हुए. इसके बाद भी देवजीभाई पटेल को भाजपा सरकार में कभी मंत्री पद नहीं मिला. हालांकि देवजीभाई पटेल सत्ता में रहते हुए भी विपक्ष की तर्ज पर अपनी ही सरकार पर सवाल दागने से कभी भी पीछे नहीं हटे. उनका यही अंदाज लोगों को लुभाता रहा. हालांकि साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का खामियाजा देवजीभाई पटेल को भी उठाना पड़ा और वे इस चुनाव में हार गए.