रायपुर:देश में कोरोना वायरस (coronavirus) के चलते हालात लगातार बेकाबू होते जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) में हर दिन नए मामले रिकॉर्ड बना रहे हैं. कोरोना की ये दूसरी लहर पहले के मुकाबले कई खतरनाक साबित हो रही है. हालात ऐसे हैं कि प्रदेश के अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं. तो कहीं वेंटीलेटर तक उपलब्ध नहीं है. ऑक्सीजन सिलेंडर ना होने से लोगों की मौतें हो रही हैं. हालात इस कदर भयावह हो चले हैं कि श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार (crematoriums) के लिए जगह कम पड़ गई है.
रायपुर में ट्रकों को बनाया गया शव वाहन
रायपुर में शवों को मुक्तिधाम तक ले जाने के लिए शव वाहन कम पड़ने लगे हैं. स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि लाशों को श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए नगर निगम ने ट्रकों को शव वाहन बना दिया है. ट्रक से मेकाहारा अस्पताल से लाशें मुक्तिधाम लाई जा रही हैं. नगर निगम ने फिलहाल 2 ट्रकों को शव वाहन बनाया है. बुधवार को राजधानी के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल से 10 शवों को ट्रक में लेकर नवा रायपुर ले जाया गया. जहां मुक्ति धाम में अंतिम संस्कार किया गया. लगातार हो रही मौतों की वजह से मेकाहारा का मुर्दाघर फुल हो गया है. मुक्तिधामों में भी शव अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहे हैं, नंबर लग रहा है. जहां शाम के बाद चिता नहीं जलती थी, पूरी रात अंतिम संस्कार किया जा रहा है.
दुर्ग में हर दिन 50 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहे छत्तीसगढ़ के दुर्ग में शहर से लेकर गांव तक कोरोना संक्रमितों के साथ ही मौत का आंकड़ा भी बढ़ते जा रहा है. दुर्ग के मुक्तिधामों में रोजाना 50 से ज्यादा लाशें जल रही हैं. कोरोना से भी हर रोज 20 के करीब लोगों की मौत हो रही है. बुधवार को रामनगर मुक्तिधाम में 61 लाशों का अंतिम संस्कार किया गया. जिसमें 29 मृतकों का अंतिम संस्कार कोविड नियमों के मुताबिक किया गया. ऐसे में पहली बार जिले के मुक्तिधाम के बाहर लकड़ी के ढेर नजर आ रहे हैं. दुर्ग जिले में कोरोना से अब तक जिले में 1,026 लोगों की मौत हो चुकी है.
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राजनांदगांव में कचरा गाड़ी में से जाया गया शव
कोरोना से राजनांदगांव में भी हालात बिगड़ते जा रहे हैं. राजनांदगांव में मानवता को शर्मसार कर देने वाली तस्वीर सामने आई है. राजनांदगांव के डोंगरगांव में बुधवार को तीन कोरोना संक्रमित मरीजों की कोविड सेंटर में इलाज के दौरान मौत हो गई. इन लाशों को ले जाने के लिए शव वाहन नहीं मिला, तो नगर पंचायत कर्मचारियों ने कचरा उठाने वाली गाड़ियों से ही लाशों को मुक्तिधाम भेज दिया. मौत के बाद शव को प्रोटोकॉल के तहत मुक्तिधाम भेजा जाना था, लेकिन नगर पंचायत के कर्मचारियों ने लापरवाही बरतते हुए शव को कचरा उठाने वाली गाड़ी से ही मुक्तिधाम भेज दिया.