रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बनने जा रही है. भाजपा ने 90 में से 54 सीटों पर जीत हासिल की है. जबकि कांग्रेस को सिर्फ 35 सीटों पर संतोष करना पड़ा है. इसके अलावा एक सीट गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को मिली है. पिछले विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो उसमें कांग्रेस को 90 में से 68 सीट मिली थी जबकि भाजपा महज सीटे ही हासिल कर सकी थी. कहा जाता है कि उस चुनाव में ओबीसी फैक्टर की वजह से कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई थी, लेकिन वह फैक्टर इस चुनाव में काम नहीं आया. साथ ही इस बार साहू समाज ने भी कांग्रेस का साथ नहीं दिया.
41 फीसदी है ओबीसी आबादी:छत्तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग के अंतर्गत कुल 95 जातियां आती हैं. क्वॉन्टिफिएबल डाटा के मुताबिक राज्य की करीब 41 फीसदी आबादी ओबीसी वर्ग से आती है. इन जातियों में सबसे ज्यादा 12 फीसदी जनसंख्या साहू समाज की है. जिस वजह से राज्य की एक चौथाई सीट पर इनका साफ साफ दबदबा होता है.
ओबीसी से 35 उम्मीदवार ने हासिल की जीत: इस विधानसभा चुनाव में 35 अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रत्याशियों ने जीत हासिल की. भाजपा की बात की जाए तो 19 पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस के 16 उम्मीदवार ही इस चुनाव में जीत सके.
साहू समाज को मिली 12 सीटें, 6 कांग्रेस और 6 भाजपा ने जीती:इस बार के चुनाव में ओबीसी वर्ग के अंतर्गत आने साहू समाज का भी वर्चस्व देखने को मिला.साहू समाज को 12 सीटें मिली हैं. जिसमें से कांग्रेस और भाजपा दोनों को 6-6 सीटों पर जीत हासिल हुई है. हालांकि कयास लगाए जा रहे थे कि साहू समाज की ज्यादातर सीटे कांग्रेस को जाएगी, लेकिन कांग्रेस को महज 6 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. इस तरह से साहू समाज ने भी चुनाव में कांग्रेस का साथ नहीं दिया.
इस बार सबसे ज्यादा 35 ओबीसी उम्मीदवारों ने हासिल की जीत:छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद हुए विधानसभा चुनाव की बात की जाए, तो साल 2003 में ओबीसी वर्ग से कुल 19 विधायक बने. जबकि साल 2008 में विधानसभा चुनाव के दौरान 24 ओबीसी वर्ग से उम्मीदवार ने जीत हासिल की. 2013 में हुए चुनाव में भी 24 विधायक ओबीसी वर्ग से बने हालांकि साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान महज 20 विधायक ही ओबीसी वर्ग से चुने गए. जबकि विधानसभा चुनाव 2023 में ओबीसी वर्ग से 35 विधायक चुने गए जो अब तक सबसे ज्यादा ओबीसी सीट रही है.
न सिर्फ ओबीसी वर्ग बल्कि सभी वर्ग से कांग्रेस ने उतारे थे उम्मीदवार:वही ओबीसी फैक्टर को लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है "हमने चुनाव के दौरान न सिर्फ ओबीसी वर्ग बल्कि सभी वर्गों का ख्याल रखा और हर वर्ग से उम्मीदवार बनाया. 5 साल किसान, युवा, महिला कर्मचारी सभी के लिए काम किया. बावजूद इसके पार्टी क्यों हारी इसकी समीक्षा की जाएगी.