रायपुर:आम आदमी पार्टी के नेता सूरज उपाध्याय ने कहा कि "सरकार दावा करती है कि देश में सबसे कम बेरोजगारी दर 0.01 छत्तीसगढ़ में है, लेकिन ये 10 लाख लोगों को बेरोजगारी भत्ता देने की बात कर रहे. जबकि 19 लाख से अधिक रजिस्टर्ड बेरोजगार हैं. बेरोजगारी भत्ता 2500 रुपए के लिए पात्र ऐसे लोगों को रखा गया है, जिनके परिवार में सालाना आय 2.5 लाख से कम हो. बाकि बच्चों ने क्या गुनाह किया है. भूपेश सरकार ने अपने बजट में 4 नए मेडिकल कॉलेज खोलने की बात कही है. इन 4 सालों में सरकार ने क्या किया है. मेडिकल कॉलेज के लिए 200 करोड़ का प्रावधान है. इस बजट में सरकार ने केवल घोषणा किया है. घोषणा कर वाहवाही लूट रही है. लेकिन जितना बजट रखा गया है. उस बजट में मेडिकल कॉलेज की 4 बिल्डिंग भी नहीं बन पाएगी."
"वृद्धा पेंशन का बजट में नहीं है जिक्र":आप नेता सूरज उपाध्याय ने कहा कि "सरकार ने बजट में 101 आत्मानंद स्कूल खोलने की बात कही. इसके लिए 807 करोड़ रुपए का प्रावधान है. एक स्कूल निर्माण में 7 करोड़ से अधिक लगेंगे लेकिन यह इंफ्रास्ट्रक्चर भी डेवलप नहीं कर पाएंगे. कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में पेंशन को लेकर घोषणा की थी. जिसमें 60 वर्ष से अधिक व्यक्ति को 1000 रुपए, 70 वर्ष से अधिक व्यक्ति को 1500 रुपए विधवाओं को 1000 रुपए मासिक पेंशन की बात कही थी. लेकिन बजट में इसका कोई प्रावधान नहीं रखा गया."
"चिटफंड प्रभावितों के लिए कोई प्रवधान नहीं":आप नेता सूरज उपाध्याय ने कहा कि "चिटफंड के पैसे का कोई प्रावधान नहीं है. कांग्रेस सरकार ने सिंचाई का रकबा दोगुना करने की बात कही थी. लेकिन अपने कार्यकाल में इन्होंने 1 किलोमीटर भी नहर नहीं बनवाई. सिंचाई सुविधा का भी इन्होंने बजट में कोई प्रावधान नहीं रखा. सरकार ने कहा है कि सड़के चमचमाएंगी, सड़क बनने में भी समय लगता है. वित्त विभाग से परमिशन लेकर बाकि सभी चीजें करने में 1 साल का समय लग जाता है. ऐसे में सरकार पल्ला झाड़ कर निकल जाएगी. बजट में 500 करोड़ का प्रावधान दिखा दिया गया है."
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"जहां काम होना था वहां नहीं हुआ काम":आप नेता सूरज उपाध्याय ने कहा कि "जिन चीजों पर काम होना चाहिए था, उन चीजों पर काम नहीं हुआ है. सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट गौठान है. गौठान समिति के अध्यक्ष को 7500 प्रति माह देने की घोषणा की गई है. जो अस्थाई समिति के सदस्य होंगे, उन्हें 500 रुपए प्रति माह देने की घोषणा की गई है. जिस राशि को यह देने की बात कर रहे हैं, उससे किसी का परिवार नहीं चल सकता. ऐसे में वह व्यक्ति सीधे भ्रष्टाचार करेगा. होमगार्ड के लोग पुलिस के बराबर नौकरी करते हैं. उन्हें नियमित करना छोड़ कर मात्र उनके मानदेय में 6 हजार 300 से केवल 6 हजार 420 रुपए यानी केवल 120 रुपए प्रतिमाह वृद्धि की गई है. अनियमित कर्मचारी सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं. नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं है. इस प्रकार देखा जाए तो सिर्फ यह बजट लोकलुभावन है. धरातल पर यह बजट शून्य है."