रायपुर: तीन दिनों के महापर्व छठ की आज शुरुआत हो गई है. आज नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हुई. यूं तो अब देश भर में लोग छठ व्रत करने लगे हैं, लेकिन बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में इसकी अधिक रौनक रहती है. इसके अलावा महाराष्ट्र और पड़ोसी देश नेपाल में भी ये त्योहार मनाया जाता है.
नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व, 2 नवंबर को पहला अर्घ्य छठ पर्व के पहले दिन नहाए खाय होता है, जिसमें औरतें सुबह नहाने के बाद खाली पेट लौकी की सब्जी और शुद्ध अरवा चावल बनाकर ग्रहण करती है. छठ के पर्व में लौकी का खास महत्व है. जो महिलाएं व्रत नहीं रखतीं वो भी आज के दिन छठ कर रही महिलाओं को लौकी देती हैं ताकि उन्हें कुछ पुण्य मिल सके.
ऐसे करती है महिलाएं छठ की पूजा
आज सुबह नहाने के बाद व्रती महिलाएं लौकी व चावल ग्रहण करती हैं. इसके बाद वे गेंहू धोकर धूप में सूखाती हैं. इस समय साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. छठ पर्व के दूसरे दिन व्रती महिलाएं दिन भर व्रत धारण करती हैं और शाम को खीर रोटी खाती हैं. जिसको खरना कहा जाता है. इस दिन वे मट्टी के चुल्हे पर गुड़ डालकर खीर बनाती हैं, साथ ही शुद्ध गेहू के आटे से रोटी बनाती हैं, शाम को इसे ग्रहण करती हैं. इस दिन आस-पड़ोस के लोगों को भी घर में प्रसाद ग्रहण करने के लिए बुलाया जाता है.
उगते और डूबते सूरज को दिया जाता है अरघ
तीसरे दिन महिलाएं सुबह से ही नहाकर छठी मां को भोग लगाने के लिए घर में ठेकुआ बनाती है. ठेकुआ बन जाने के बाद फलों के साथ डउरा सजाया जाता है और पीले कपड़े से डउरा को बांधकर छठ घाट तक पहुंचाया जाता है. महिलाएं घाट पर डूबते सूरज को अर्घ्य देती हैं और चौथे दिन सुबह-सुबह महिलाएं घाट पर जाकर उगते सूरज को अर्घ्य देती हैं. इसके बाद घाट से वापस लौटकर घर में अदरक और गुड़ खाती है. ताकि मुंह में छाले न पड़े. वे घर में बने 5 तरह की खाद्य सामग्री से अपना उपवास तोड़ती है.