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SPECIAL: ज्यादातर चेन स्नेचिंग केस में युवा होते हैं शामिल, जाने कैसे बरतें सावधानी

राजधानी रायपुर में बीते 6 महीनों से चेन स्नेचिंग के एक भी केस सामने नहीं आए हैं. खासतौर पर युवा वर्ग जिनकी उम्र 20 से 25 साल की होती है, वे इस काम में माहिर होते हैं. चेन स्नेचिंग गिरोह के सदस्य नशे का सामान और अपने ऐशो-आराम के लिए इस घटना को अंजाम देते हैं. ETV भारत ने शहर के अलग-अलग थानों में जाकर थाना प्रभारियों से चेन स्नेचिंग के बढ़ते आंकड़ों के बारे में जानकारी ली.

chain snatching cases in chhattisgarh
चेन स्नेचिंग

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Published : Oct 22, 2020, 2:48 PM IST

रायपुर:प्रदेश में क्राइम का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. राजधानी रायपुर में इन दिनों घरेलू हिंसा, शराब तस्करी, चोरी समेत कई बड़े मामले भी सामने आ चुके हैं. इन तमाम अपराधों के बीच क्राइम की एक कैटेगरी चेन स्नेचिंग भी है. रायपुर जिले में बीते 6 महीने से चेन स्नेचिंग का कोई भी केस नहीं आया है. ज्यादातर आंकड़ों के मुताबिक चेन स्नेचिंग करने वाला गिरोह स्थानीय ना होकर बाहर का होता है, जो स्थानीय इलाकों में बड़े स्तर पर सक्रिय होता है. ETV भारत ने शहर के अलग-अलग थानों में जाकर थाना प्रभारियों से चेन स्नेचिंग के बढ़ते आंकड़ों के बारे में जानकारी ली.

चेन स्नेचिंग करने वाला गिरोह बाइक की मदद से इस अपराध को अंजाम देता है. खासतौर पर युवा वर्ग जिनकी उम्र 20 से 25 साल की होती है, वे इस काम में माहिर होते हैं. चेन स्नेचिंग गिरोह के सदस्य नशे का सामान और अपने ऐशो-आराम के लिए इस घटना को अंजाम देते हैं.

रायपुर में चेन स्नेचिंग

ज्यादातर दूसरे राज्यों के होते हैं गिरोह

मौदहापारा थाना प्रभारी यदुमणि सिदार बताते हैं कि गिरोह के सदस्य चेन स्नेचिंग की घटना को अंजाम देने के लिए भीड़भाड़ वाले इलाके में महिलाओं और लड़कियों को टारगेट करते हैं. थाना प्रभारी का मानना है कि चेन स्नेचिंग की घटना को अंजाम देने वाला गिरोह स्थानीय ना होकर बाहर का गिरोह इस तरह की घटना को अंजाम देने में ज्यादा माहिर होता है.

चेनस्नेचिंग में बाइक का इस्तेमाल करते हैं आरोपी

चेन स्नेचिंग की घटना घटित करने वाले गिरोह के बारे में जब हमने सिविल लाइन थाना प्रभारी आरके मिश्रा से बात की तो उन्होंने बताया कि घटना को अंजाम देने के बाद गिरोह के सदस्य वहां से तुरंत भाग जाते हैं. गिरोह के लोग इस वारदात को अंजाम देने के लिए स्पीड बाइक का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उन्हें मौके से भागने में आसानी हो. ऐसी घटना को अंजाम देने के लिए ज्यादातर एक बाइक पर दो लोग सवार होते हैं, जिसमें बाइक के पीछे बैठा शख्स राह चलते लोगों की चेन स्नेचिंग करने में सफल हो जाता है. फिर तेजी से भाग निकलने में सफल होते हैं.

ज्यादातर केस में युवा शामिल

क्राइम एएसपी अभिषेक माहेश्वरी बताते हैं कि चेन स्नेचिंग की घटना को अंजाम देने वाले गिरोह में 20 से 25 वर्ष के युवक शामिल रहते हैं. इस तरह की घटना घटित होने पर कंट्रोल रूम के माध्यम से सभी थानों को अलर्ट किया जाता है. पूरे शहर की नाकाबंदी कर सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से भी चेन स्नेचिंग गिरोह को पकड़ने की कोशिश की जाती है.

चेन स्नेचिंग का शिकार न सिर्फ महिलाएं और लड़कियां होती हैं, बल्कि पुरुष भी इसके शिकार हैं. लेकिन जारी आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं और लड़कियों के साथ ही आरोपी ऐसी वारदात को अंजाम देते हैं.

महिलाएं और लड़कियां इन बातों का रखें ध्यान

  • चेन स्नेचिंग जैसी घटना से बचने के लिए बाहर जाते समय महिलाओं को आर्टिफिशियल ज्वेलरी का उपयोग करना चाहिए.
  • महिलाओं को कम से कम सोने और चांदी के असली गहने पहनकर बाहर निकलना चाहिए.
  • महिलाएं या लड़कियां बाहर निकलते वक्त दुपट्टे से गले कवर कर सकती हैं या फिर फेस में स्कार्फ बांध सकती हैं, जिससे ज्वेलरी सुरक्षित रहे.
  • अगर आप कहीं पर रिक्शे से जा रहीं है और गोल्ड ज्वेलरी पहनी हैं तो स्नेचिंग से बचने के लिए रिक्शे के बीचों-बीच बैठें. किनारे पर बैठने से बचें क्योंकि रिक्शा धीमे चलता है और ऐसे में स्नेचर्स किनारे से आसानी से स्नेचिंग कर सकते हैं.
  • गोल्ड ज्वेलरी सभी महिलाओं की पहली पसंद होती है, लेकिन अगर आप सुनसान रास्तों से निकल रही हैं तो या तो जूलरी न पहनें या ऐसे रास्ते को अवॉइड करें. सुनसान रास्तों पर स्नेचर ज्यादा ऐक्टिव होते हैं. वहां कोई मदद के लिए भी नहीं आता.
  • महिलाएं और लड़कियां सेल्फ डिफेंस के लिए भी खुद को तैयार रखें.
  • अपने आस-पास के वाहनों से अलर्ट रहें. कोई वाहन अगर बार-बार पीछे आ रहा है या फिर वाहन मोड़कर बार-बार निकल रहा है तो वाहन का नंबर जरूर नोट करें. या फिर इसकी सूचना समय पर पुलिस को दें. इससे स्नेचिंग या वारदात से बचा जा सकता है.

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पुराने कानून के तहत होती है कार्रवाई

  • पुलिस अधिकारियों का कहना है कि स्नेचिंग एक अर्बन सेटअप का क्राइम है, इसलिए आईपीसी में इसके अनुसार जरूरी प्रावधानों का अभाव है.
  • पुलिस आईपीसी की धारा 356/379 के तहत केस दर्ज करती है, जिसका मतलब है किसी की प्रॉपर्टी चुराने या छीनने के लिए क्रिमिनल फोर्स का इस्तेमाल करना.
  • इसमें अधिकतम तीन साल तक की सजा और मामूली जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन पुलिस का मानना है कि स्नेचिंग एक ऐसा क्राइम है, जो चोरी और लूट, दोनों से अलग है और इसलिए उसमें अलग तरह के कानूनी प्रावधान होने चाहिए, ताकि आरोपियों को कड़ी सजा मिल सके.

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