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CG Junior Doctors strike: डॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों की बढ़ी समस्या

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन 19 जनवरी से स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है. इस हड़ताल से रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में भी डॉक्टरों की संख्या काफी कम हो गई है. ऐसे में इलाज कराने आए मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Jan 23, 2023, 7:15 PM IST

CG Junior Doctors strike
जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल से इलाज प्रभावित

जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल से इलाज प्रभावित

रायपुर: जूनियर और पीजी रेसिडेंट के अलावा केवल सीनियर डॉक्टर ही अस्पताल का कार्यभार संभाल रहे हैं. अस्पताल में हड़ताल की वजह से केवल सीमित मरीजों को ओपीडी में देखा जा रहा है. कुछ ऑपरेशन ही किए जा रहे हैं. जिस वजह से दूर दराज से आए मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. कुछ मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ रहा है.

"एसोसिएशन डॉक्टरों के डिमांड की के समर्थन में":मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने बताया कि " इंडियन मेडिकल एसोसिएशन डॉक्टर के डिमांड के समर्थन में है. ना कि हड़ताल को लेकर. डॉक्टर समुदाय के लिए हड़ताल एक बहुत ही अप्रिय कदम और अंतिम कदम होता है. जूनियर डॉक्टर अपने स्टाइपेंड को बढ़ाने के लिए अलग-अलग मंचों पर अपनी मांग पहले भी रख चुके हैं इससे पहले भी 3 साल पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के सामने मानदेय की मांग को बढ़ाने की बात रखी गई थी जिस पर आश्वासन देकर उनका हड़ताल बंद कर दिया गया था.

"जूनियर डॉक्टरों ने मांग को लेकर जल्दबाजी की":इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने आगो बताया कि "कोविड19 की वजह से उनका स्टाइपेंड बढ़ नहीं पाया. जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांग को लेकर थोड़ी जल्दबाजी जरूर की है. लेकिन उनके मांग जायज़ है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अपने जूनियर जनरेशन के लिए उनके साथ है. एसोसिएशन द्वारा कोशिश की जा रही है कि हड़ताल जल्द से जल्द समाप्त हो जिससे मरीजों की सुविधा और अस्पताल की व्यवस्था सही हो सके."

यह भी पढ़ें: cg Junior Doctors Association strike: छत्तीसगढ़ में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल, मानदेय बढ़ाने की मांग


"हड़ताल का फैसला गलत":इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने आगे कहा कि "डॉक्टरों के लिए हड़ताल एक अंतिम विकल्प होता है. जूनियर डॉक्टर से यह गलती हुई है कि वह हड़ताल पर गए हैं. यह मरीजों के हित के विरुद्ध है. अपनी मांग को अख्तियार करने के लिए उन्हें कोई लोकतांत्रिक तरीका अपनाना चाहिए था. कई सालों से उनकी मांग लंबित है. फिर भी आईएमए यह कोशिश कर रही है कि उनकी मांग जल्द से जल्द पूरी हो और हड़ताल खत्म हो. मरीजों की सेवा में डॉक्टर जल्द वापस आ सके."

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