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छत्तीसगढ़ में ग्रामीण जनता सरकार चुनने में आगे, शहरों के मुकाबले गांवों में ज्यादा वोट परसेंट, जानिए क्यों पिछड़े शहरवासी ? - शहरों के मुकाबले गांवों में ज्यादा वोट परसेंट

CG Election 2023 छत्तीसगढ़ में दो चरणों का मतदान हो चुका है. दोनों चरणों में भरोसा बनाम गारंटी की लड़ाई देखने को मिली.जिन लोगों ने ये सोचा था कि कांग्रेस के लिए दूसरी बार सत्ता हासिल करना मुश्किल नहीं होगा.उनकी सोच धरी की धरी रह गई.आखिरी लम्हों में किसी टी 20 मैच की तरह पूरा समीकरण बदला और पिछली बार के जादुई आंकड़ा को पार करने का दावा करने वाली कांग्रेस के कई कद्दावर मंत्री अपनी सीट पर संघर्ष करते दिखे. Second Phase Election of Chhattisgarh

CG Election 2023
छत्तीसगढ़ में ग्रामीण जनता सरकार चुनने में आगे

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 18, 2023, 3:29 PM IST

Updated : Nov 18, 2023, 6:48 PM IST

रायपुर :छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण का मतदान खत्म हो चुका है.इस बार पिछले बार से कम वोटिंग हुई है.बात यदि वोटिंग परसेंटेज की करें तो पहले चरण के मतदान में 20 सीटों पर मतदान हुआ था. जिसमें मतदान प्रतिशत 78 फीसदी तक पहुंचा था. वहीं दूसरे चरण में 70 सीटों पर 75.08 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई है.इसी के साथ ही दूसरे चरण में 958 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद हो गया है.अब इंतजार है 3 दिसंबर का.जब ये पता लगेगा कि जनता जनार्दन ने किस पर भरोसा जताया और किसकी गारंटी को माना.

शहर के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में ज्यादा वोटिंग :इस बार छत्तीसगढ़ में शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में ज्यादा वोटिंग देखने को मिला है.जो काफी चिंता का विषय है. ऐसा माना जाता है कि वोटिंग को लेकर गांव की अपेक्षा शहर के लोग ज्यादा जागरुक होते हैं.लेकिन हर बार ये बात सिर्फ बेमानी ही साबित होती है. इस बार भी छत्तीसगढ़ में शहरों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में ज्यादा वोटिंग हुई.भले ही गांव के लोग शहर की चकाचौंध से दूर हो.लेकिन जब सरकार चुनने की बारी आती है तो ग्रामीण लोकतंत्र के महापर्व में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर, अंबिकापुर, बलरामपुर, सूरजपुर, जशपुर, बालोद, रायगढ़, दुर्ग,धमतरी और महासमुंद जैसे जिलों के अंदर बंपर वोटिंग देखने को मिली है.जो इस बात का सूचक है आज भी अपनी सरकार चुनने में ग्रामीण क्षेत्र की जनता शहरी जनता से कहीं आगे हैं.

शहर में वोटिंग कम क्यों ? :इसे विडंबना ही कहेंगे कि तमाम सुविधाएं होने के बाद भी शहरी लोग वोटिंग के दिन घरों से नहीं निकलते हैं.पूरे प्रदेश का हाल छोड़िए प्रदेश की राजधानी, न्यायधानी और औद्योगिक नगरी के आंकड़े उठाकर देखें तो ये बात साफ हो जाएगी कि किसी को मतदान करने में कोई उत्साह नहीं है.करोड़ों रुपए कैंपेन में खर्च करने के बाद भी शहर का मतदाता घर में छुट्टी मनाते हुए सोना ज्यादा पसंद करता है.उसे ना तो सरकार से मतलब है और ना ही जनप्रतिनिधियों से.चाहे कोई आए और कोई जाए.उसकी एक दिन की छुट्टी एंजाय करते कट रही है तो वो वोट क्यों देगा. रायपुर पश्चिम में 55.93 फीसदी ही वोटिंग हुई.वहीं बिलासपुर में 56.28 फीसदी वोटिंग हुई.यानी जिन जगहों पर सबसे ज्यादा मतदाता जागरुक अभियान चलाया गया वहां वोटिंग परसेंट काफी कम है.

किन सीटों पर दूसरे चरण में कम हुई वोटिंग ?

विधानसभा प्रत्याशी मतदाता 2013 2018
बिलासपुर 21 251117 58.99 61.06
बेलतरा 22 248613 68.64 66.99
मस्तूरी 13 305366 73.31 67.78
वैशाली नगर 16 250927 58.76 64.50
रायपुर ग्रामीण 18 349316 63.08 60.77
रायपुर पश्चिम 26 291538 63.09 60.14
रायपुर उत्तर 14 202150 62.91 59.89
रायपुर दक्षिण 22 259948 65.84 61.02

ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं का बड़ा असर :ग्रामीण क्षेत्र में बंपर वोटिंग हुई है. छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने 5 साल किसानों को प्राथमिकता दी. किसान और बीपीएल वर्ग के लिए जिस तरह की योजनाएं सरकार ने चलाई. उसके कारण लोगों ने बढ़ चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया है. एक गांव में तो रात के 11:00 बजे तक मतदान हुआ. ग्रामीण, शारीरिक तौर पर भी थोड़ा मजबूत रहते हैं. देर तक अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं. जबकि इसकी तुलना शहरी मतदाता से की जाए, तो वह भीड़ देखकर वापस लौट जाता है. सोचता है कि थोड़ी देर बाद आकर मतदान करेंगे. तब तक समय बीत जाता है. यह दो-तीन फैक्टर हैं, जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में इस बार अधिक मतदान हुआ है.

'' ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर लोग बीपीएल वर्ग से आते हैं. अंत में की गई घोषणाओं का भी कुछ असर रहा. इस बार एक ट्रेंड यह भी रहा कि ग्रामीण क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों ने भी खूब प्रचार प्रसार किया. गांव के लोगों की सोच बिल्कुल साफ होती है. कोई उनके घर आया और उन्होंने एक बार किसी को जुबान दे दी तो वो जाकर मतदान करते हैं-'' कमलेश यादव, वरिष्ठ पत्रकार कोरबा

कैसा रहा चुनावी दौर ? :पहले चरण में बस्तर संभाग की 12 सीटों के साथ दुर्ग संभाग की 8 सीटों पर मतदान हुआ. चुनावी घोषणापत्र से पहले ये माना जा रहा था. कि मुकाबला एक तरफा होगा.लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आया वैसे वैसे समीकरण बदलता गया. वहीं जब टिकटों का ऐलान हुआ तो सबसे ज्यादा असंतोष कांग्रेस में दिखाई पड़ा. कांग्रेस ने 22 सीटिंग एमएलए के टिकट काटे थे.लेकिन इसमें से 2 परिवार के लोगों को ही टिकट दे दिया गया. वहीं बस्तर में टिकट कटने से नाराज कांग्रेसियों ने कई जगहों पर मोर्चा खोला.लेकिन कुछ जगहों पर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने लोगों को मना लिया.फिर भी कुछ सीटें ऐसी थी.जहां पर कांग्रेस नेताओं की नाराजगी किसी से छिपी नहीं.खासकर अंतागढ़ विधानसभा सीट जहां का रिजल्ट चौंकाने वाला हो सकता है.वहीं राजनांदगांव और खुज्जी में भी कांग्रेस के अंदर असंतोष देखा गया.वहीं बीजेपी भी कुछ सीटों पर अपनों से जूझती नजर आई. इन सीटों में पंडरिया और केशकाल विधानसभा सीट है.

घोषणाओं का कितना असर ? :किसी भी चुनाव से पहले पार्टी का घोषणापत्र सबसे अहम माना जाता है. इस बार कांग्रेस ने कर्ज माफी और धान को लेकर बड़ा ऐलान किया.इसके बाद बीजेपी ने भी अपने घोषणा पत्र में धान और किसान को साधने की कोशिश की. साथ ही साथ गैस सिलेंडर और बिजली में सब्सिडी देने का वादा भी कांग्रेस ने किया. लेकिन बीजेपी ने महिलाओं को साधते हुए महतारी वंदन योजना लाया.इस योजना का प्रचार प्रसार आखिरी समय में खूब हुआ. जिसका नतीजा ये निकला कि कांग्रेस को भी महिलाओं के लिए गृहलक्ष्मी योजना की घोषणा मतदान से 5 दिन पहले करनी पड़ी. कांग्रेस ने यहां बीजेपी से एक कदम आगे जाते हुए महिलाओं के लिए एक निश्चित राशि निर्धारित की.इन तीनों ही घोषणाओं का सबसे बड़ा फायदा ग्रामीणों को ही मिलना है.इसलिए कहीं ना कहीं ग्रामीण जनता ने वादों को देखते हुए ही वोटिंग की है.लेकिन अब सवाल ये है कि किसके पक्ष में वोटिंग हुई.

पहले चरण की मतदान वाली 20 सीटें

पंडरिया-75.27 प्रतिशत

कवर्धा-81.24 प्रतिशत

खैरागढ़-82.67 प्रतिशत

डोंगरगढ़-81.93 प्रतिशत

राजनांदगांव-79.12 प्रतिशत

डोगरगांव-84.1 प्रतिशत

खुज्जी-82.43 प्रतिशत

मोहला-मानपुर-79.38 प्रतिशत

अंतागढ़-79.79 प्रतिशत

भानुप्रतापपुर-81 प्रतिशत

कांकेर-81.14 प्रतिशत

केशकाल-81.89 प्रतिशत

कोंडागांव-82.37प्रतिशत

नारायणपुर-75.06 प्रतिशत

बस्तर-84.67 प्रतिशत

जगदलपुर-78.47 प्रतिशत

चित्रकोट-81.76 प्रतिशत

दंतेवाड़ा-69.88 प्रतिशत

बीजापुर-48.37 प्रतिशत

कोंटा-63.14 प्रतिशत

सरगुजा संभाग में 14 सीटें-वहीं दूसरे चरण की बात करे तो 70 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई.लेकिन पिछली बार की तुलना में कम वोटिंग दर्ज की गई है.रायपुर और बिलासपुर में इस बार वोटिंग कम हुई है.70 सीटों में सबसे कम वोटिंग रायपुर पश्चिम विधानसभा में 55.93 फीसदी वोटिंग हुई है.

सरगुजा संभाग में वोटिंग प्रतिशत :छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण में हुई वोटिंग में भरतपुर सोनहत में 81.8, मनेंद्रगढ़ में 74.02, बैकुंठपुर में 81.79, प्रेमनगर में 79.56, भटगांव में 81.35, प्रतापपुर में 79.44, रामानुजगंज में 83.5, सामरी में 83.42, लुण्ड्रा में 85.1, अंबिकापुर में 75.58, सीतापुर में 81.31, जशपुर में 75.93, कुनकुरी में 77.29 और पत्थलगांव विधानसभा सीट पर 78.66 फीसदी वोटिंग हुई है.

सरगुजा संभाग की हाईप्रोफाइल सीट : 14 विधानसभा सीटों में हाईप्रोफाइल सीटों की बात करें तो अंबिकापुर, रामानुजगंज,भटगांव,बैकुंठपुर सीतापुर और कुनकुरी है.इस संभाग में चार विधायकों का टिकट काटा गया था. जिसके बाद विधायकों में असंतोष दिखा. मनेंद्रगढ़,सामरी,रामानुजगंज और प्रतापपुर में विधायकों के टिकट कटे थे.जिसके बाद इन चार सीटों पर कांग्रेस के अंदर काफी असंतोष दिखा था.

क्या है सरगुजा का मूड ? :वहीं सरगुजा के वरिष्ठ पत्रकार दीपक सराठे के मुताबिकसरगुजा के ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत बढ़ा है. इसका कारण ये है कि कर्जमाफी और धान का बोनस बढ़ने से किसानों की रुचि इस बात में बढ़ गई है कि सरकार कैसी हो. रूरल इंडस्ट्रियल पार्क जैसे काम ग्रामीणों को जोड़ने का काम हुआ है. राजीव युवा मितान के माध्यम से सरकार के प्रतिनिधि लगातार ग्रामीणों के बीच मे जाते रहे उनके बीच एक कनेक्शन बना और ये कनेक्टिविटी मतदान प्रतिशत में तब्दील हुई.

'' शहरी क्षेत्रों में पहले भी मतदान कर होता था. इस बार सरगुजा में शहरी मतदान प्रतिशत और कम होने का कारण छठ का त्योहार था. सरगुजा के प्रमुख शहर या कस्बे अम्बिकापुर, सूरजपुर, बैकुंठपुर जैसे जगहों में बिहार, यूपी, झारखंड से आकर बसने वाले लोग छठ मनाने अपने पुस्तैनी गांव चले गए. कुछ व्रती महिलाएं वोट देने नहीं जा पाई. इन वजहों से ग्रामीण और शहरी मतदान प्रतिशत में बड़ा अंतर देखा गया" -दीपक सराठे,वरिष्ठ पत्रकार

बिलासपुर संभाग: बिलासपुर संभाग की यदि बात करें को बिलासपुर में 56.28, बेलतरा में 65.71, मस्तूरी में 66.4, अकलतरा में 74.13, जांजगीर चांपा में 74.59, सक्ती में 76.7, चंद्रपुर में 68.66, जैजैपुर में 69.5, पामगढ़ में 67.48 और बिलाईगढ़ विधानसभा में 70.39 फीसदी, लैलूंगा में 85.44, रायगढ़ में 78.8, सारंगढ़ में 79.37, खरसिया में 86.54, धरमजयगढ़ में 86, रामपुर में 76.65, कोरबा में 66.3, कटघोरा में 74.02, पालीतानाखर में 80.38, मरवाही में 78.27, कोटा में 73.2, लोरमी में 67.98, मुंगेली में 67.3, तखतपुर में 73.52, बिल्हा में 69.63 फीसदी वोटिंग हुई है.

बिलासपुर संभाग की हाईप्रोफाइल सीट : बिलासपुर संभाग में कई हाईप्रोफाइल सीटें हैं.जिसमें जांजगीर चांपा, बिलासपुर, खरसिया,रायगढ़,अकलतरा, चंद्रपुर, कोरबा, मरवाही,कोटा,लोरमी और बिल्हा है. संभाग की बात करें तो पिछली बार यहां का रिजल्ट दूसरे जगहों के मुकाबले काफी चौकाने वाला था.क्योंकि यही वो संभाग था जहां कांग्रेस लीड नहीं ले पाई थी.ऐसे में इस संभाग में इस बार सबसे ज्यादा नाराजगी कांग्रेस नेताओं में देखी गई. बिलासपुर,बेलतरा,कोटा, मरवाही, मुंगेली, तखतपुर, अकलतरा, बिल्हा और लोरमी में कांग्रेस में काफी ज्यादा बगावत दिखी.यही हाल बीजेपी का रहा.बीजेपी को इस संभाग में बेलतरा, बिलासपुर,रायगढ़ जैसी सीटों पर विरोध झेलना पड़ा था.

बीजेपी का कैडर वोट भी बाहर आया : वहीं बिलासपुर के वरिष्ठ पत्रकार राजेश अग्रवाल के मुताबिकदोनों ही पार्टियों ने जनता को लाभ पहुंचाने के लिए कई घोषणाएं की हैं. लेकिन इसका ये मतलब नहीं हो सकता कि कोई एक पार्टी पर ही लोगों ने वोटों की मुहर लगाई हो. कांग्रेस की पांच साल के कार्यों को देखकर कुछ वोट मिले तो बीजेपी का कैडर वोटर भी इस बार मैदान में आया है. यही कारण है कि संभाग में वोट अत्यधिक हुए हैं. एक बात ये भी है कि राज्य सरकार ने जो किसानों के लिए वादा किया था उसे पूरा किया है.

'' भरोसा बरकरार है तो कुछ सरकार की ऐसी भी चीजें थी जिससे आम जनता का भरोसा टूटा है. हालांकि जनता बीजेपी पर भी पूरा भरोसा नहीं कर पा रही है. दोनों ही पार्टी की धुआधार प्रचार और केंद्रीय नेताओं के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में आम सभा का असर भी देखने को मिला है.'' राजेश अग्रवाल, वरिष्ठ पत्रकार

रायपुर संभाग : रायपुर ग्रामीण में 57.2, रायपुर पश्चिम में 55.93, रायपुर उत्तर में 57.8, रायपुर दक्षिण में 59.99, आरंग में 74.12, अभनपुर में 83, राजिम में 82.04, बिंद्रनवागढ़ में 83.2, सिहावा में 86, कुरूद में 86, धमतरी विधानसभा में 81 फीसदी, सरायपाली में 81.68, बसना में 83.47, खल्लारी में 81.34, महासमुंद में 75.17, कसडोल में 73.6, बलौदा बाजार में 76.1, भाटापारा में 75.1, धरसीवां में 77.63 वोट पड़े.

रायपुर संभाग की हाईप्रोफाइल सीटें : रायपुर संभाग की बात करें तो इस संभाग में रायपुर उत्तर, रायपुर दक्षिण, रायपुर पश्चिम, आरंग,धरसीवां,कुरुद, बसना,महासमुंद,कसडोल और भाटापारा हाईप्रोफाइल सीटें हैं. इस संभाग में रायपुर उत्तर में सबसे ज्यादा कड़ा मुकाबला देखने को मिला.यहां कांग्रेस और बीजेपी के बागी उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी पार्टियों के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं.कांग्रेस के बागी उम्मीदवार बाजी पलट सकते हैं.धरसीवां में जहां बीजेपी प्रत्याशी को बाहरी बताया गया.वहीं आरंग में एक समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले को टिकट मिलने पर बीजेपी के अंदर नाराजगी दिखी.कुरुद में प्रदेश के पूर्व मंत्री के खिलाफ कांग्रेस ने महिला को उतारा था.जहां कांटे की टक्कर देखने को मिली.

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दुर्ग संभाग : दुर्ग संभाग की बात करें तो पाटन में 84.12, दुर्ग ग्रामीण में 74.79, दुर्ग सिटी में 66.48, भिलाई नगर में 66.34,वैशाली नगर में 65.67, अहिवारा में 72.02, साजा में 77.8, बेमेतरा में 79.55, नवागढ़ में 75 फीसदी, संजारी बालोद में 84.7, डौंडीलोहारा में 81.24, गुंडरदेही में 83.1 फीसदी वोटिंग हुई है.

दुर्ग संभाग की हाईप्रोफाइल सीट :दुर्ग संभाग प्रदेश का सबसे ज्यादा हाईप्रोफाइल संभाग है.क्योंकि इस संभाग से प्रदेश के 5 मंत्री आते हैं. खुद प्रदेश के मुखिया की सीट भी इसी संभाग में है. पाटन,दुर्ग ग्रामीण,भिलाई नगर, साजा, नवागढ़, डौंडीलोहारा संभाग की हाईप्रोफाइल सीटें हैं.जहां पाटन में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला.वहीं दुर्ग ग्रामीण और साजा में मंत्रियों को कड़ी चुनौती मिली. नवागढ़ से भी मंत्री अपनी सीट बचाते हुए नजर आए हैं.

Last Updated : Nov 18, 2023, 6:48 PM IST

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