रायपुर: मोदी सरकार की केंद्रीय ग्रामीण स्वामित्व योजना में पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश सहित हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को तो शमिल किया गया है लेकिन छत्तीसगढ़ को इसमें शामिल नहीं किया गया है. जिसे लेकर राज्य सरकार ने केंद्र की मोदी सरकार पर छत्तीसगढ़ की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया हैं.
केंद्रीय ग्रामीण स्वामित्व योजना पर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने पढ़ें:महामारी और आर्थिक मंदी: छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर में कमी, प्रवासी मजदूरों को काम देने में भी अव्वल
'प्रदेश की उपेक्षा कर रहा केंद्र'
ताम्रध्वज साहू का केंद्र पर आरोप गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा 2-3 नई योजनाएं शुरू की गई है, जिसमें छत्तीसगढ़ को शामिल नहीं किया गया है. ताम्रध्वज साहू ने कहा कि जहां एक ओर दूसरे राज्यों में कोरोना काल के दौरान वेतन में कटौती की गई है, वहीं छत्तीसगढ़ में सभी कर्मचारियों को पूरा वेतन दिया जा रहा है. चाहे शिक्षाकर्मी हो या अन्य विभाग के कर्मचारी सभी को राशि मुहैया कराई जा रही है, बावजूद इसके केंद्र सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ को इन योजनाओं में शामिल न करके प्रदेश की उपेक्षा की गई है.
पढ़ें:आंकड़ों का खेल कर बेरोजगारी कम करने का दावा कर रही है भूपेश सरकार: सच्चिदानंद उपासने
'राज्य ने केंद्र की योजनाओं को लागू नहीं किया'
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा ने राज्य सरकार पर कई सवाल खड़े किए हैं. बीजेपी के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि राज्य सरकार ने कभी भी केंद्र की योजनाओं को सही तरीके से लागू नहीं किया है. उपासने ने उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि चाहे किसान सम्मान निधि हो या फिर प्रधानमंत्री आवास योजना हो या स्वास्थ्य योजना सहित अन्य कई केंद्रीय योजनाएं, उसे राज्य सरकार के द्वारा लागू नहीं किया गया. उपासने ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार केंद्र की योजनाओं को तिलांजलि दे देती है, जो सही नहीं है.
केंद्र और राज्य के बीच पिस रही जनता
बहरहाल कारण जो भी हो लेकिन ये जरूर है कि केंद्र और राज्य सरकारों की लड़ाई में प्रदेश की जनता को कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में वे इन योजनाओं से वंचित हो जा रहे हैं. अब देखने वाली बात है कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच खींचतान का आने वाले समय में कितना नुकसान प्रदेश की जनता को उठाना पड़ेगा.