रायपुर: खेती किसानी के प्रयोग में आने वाले कीटनाशक अब मानव जीवन के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं, इसके दुष्परिणाम को रोकने के लिए भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने एक मसौदा राजपत्र जारी किया है. इसके तहत खेती-किसानी और सब्जी, फलों के उत्पादन में बड़े पैमाने में इस्तेमाल किए जा रहे 27 कीटनाशकों को बैन करने की तैयारी की जा रही है. बड़े पैमाने पर फलों, सब्जियों और अनाज को कीड़े, रोग और खरपतवार से बचाने और पैदावार बढ़ाने के लिए कई तरह के रसायन का छिड़काव किया जाता है, लेकिन इस कीटनाशक का उपयोग अब मानव जीवन के लिए ही संकट बनता जा रहा है.
ये कीटनाशक हैं घातक
मोनोक्रोटोफॉस : इस जहरीले कीटनाशक का उपयोग व्यापक रूप से किया जा रहा है. अधिकांश स्थानीय बाजारों में सब्जियों को भी मोनोक्रोटोफॉस अवशेषों के साथ पाया गया है. ये कीटनाशक पक्षियों, स्तनधारियों, मछलियों और झींगों के लिए बेहद जहरीला होता है. कई किसानों की मृत्यु भी मोनोक्रोटोफॉस से हुई है. 112 देशों ने पहले ही इस कीटनाशक पर प्रतिबंध लगा दिया है.
क्विनालफॉस: भारत में अक्सर इस्तेमाल किया जाने वाला कीटनाशक है. इसे पीले लेबल यानी अत्यधिक विषैले कीटनाशक के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इस कीटनाशक को 30 देशों में प्रतिबंधित कर दिया गया है.
ऑक्सीफ्लोरोफेन: इस कीटनाशक के उपयोग पर 2 देशों ने पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है. धान, मूंगफली, प्याज, आलू की फसल, मछलियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है.
प्रतिबंधित सूची में शामिल अन्य प्रमुख रासायनिक यौगिक हैं- पेंडीमेथिलिन, सल्फोसल्फ्यूरॉन, थायोडिकार्ब, थियोफैनेट मिथाइल, थिरम, मेथोमाइल, मैंकोजेब, मैलाथियोन, डियूरोन, डायमेथोएट, डिकॉफोल, डेल्टामेथ्रिन, क्लोरोपाइरीफॉस, कार्बोफ्यूरान, कार्बेन्डाजिम, बटाचोर, बेनफुरैकार्ब, एट्राजीन और ऐसफेट.
स्वास्थ्य पर इन कीटनाशकों का प्रभाव
इन कीटनाशकों के प्रभाव से अस्थमा, ऑटिज्म, डायबिटीज, परकिंसन, अल्जाइमर, प्रजनन संबंधी अक्षमता और कई तरह के कैंसर होने का खतरा रहता है. वहीं प्री मैच्योर बेबी, किडनी में इंफेक्शन भी इस कीटनाशक के कारण हो सकते हैं.
ETV भारत ने कृषि विशेषज्ञों से भी जाना है कि ये कीटनाशक कितने घातक हैं और इसके कितने खतरनाक दुष्परिणाम हो सकते हैं. इसके साथ ही इस व्यवसाय से जुड़े लोगों से भी ETV भारत ने बात की और इन पेस्टिसाइड को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं उस पर चर्चा की.