रायपुर: कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से छत्तीसगढ़ में यात्री बसों का संचालन 20 मार्च से बंद हो गया था. कुछ मांगे पूरी होने के बाद बस संचालकों ने 5 जुलाई से प्रदेश में यात्री बसों का संचालन शुरू किया था. लेकिन राजधानी में 22 जुलाई से लॉकडाउन होने की वजह से यात्री बसों का संचालन 21 जुलाई से फिर से बंद हो गया. इन बसों का संचालन दोबारा 2 सितंबर से शुरू कर दिया गया है. लेकिन बस संचालकों की 8 सूत्रीय मांग अभी भी पूरी नहीं हो पाई है. बस संचालकों को केवल परिवहन मंत्री से आश्वासन ही मिला है. 2 सितंबर से बस संचालक अपने रिस्क पर प्रदेश में बसों का संचालन कर रहे हैं.
कोरोना और लॉकडाउन ने हर वर्ग के लोगों के रोजगार और व्यवसाय को प्रभावित किया है. कोरोना की वजह से यात्री बसों का संचालन भी प्रभावित हुआ है. छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में बसों का संचालन दोबारा 2 सितंबर से शुरू कर दिया गया. अभी महज 10% बसों का ही संचालन शुरू हो पाया. प्रदेश के अधिकांश जिलों के ड्राइवर और कंडक्टर हड़ताल पर होने की वजह से भी बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है. इस बार बसों का संचालन बस संचालकों ने अपने रिस्क पर शुरू किआ हैं. आने वाले दिनों में यदि यात्रियों की संख्या इसी तरह कम रही तो बसों के पहिए थमने में फिर से ज्यादा समय नहीं लगेगा.
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प्रदेश के किसी भी जिले या शहर में जाने वाली यात्री बसों की बात की जाए तो एक रूट पर 1 दिन में लगभग 15 बसें रोजाना संचालित हुआ करती थी. लेकिन अब इन रास्तों पर दिन भर में 3 से 4 बसें ही संचालित हो रही है. कोरोना संकट और लॉकडाउन ने आम जनता के दिलों दिमाग पर ऐसा असर डाला है कि यात्री भी अब बसों में यात्रा करने से कतरा रहे. कहीं ना कहीं यात्रियों को भी कोरोना का डर सताने लगा है. जिसकी वजह से भी यात्री अब बसों में यात्रा करने से बच रहे हैं.
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