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6 महीने से बसों के पहिए थमने से संचालकों की हालत खस्ता, किराया बढ़ाने की मांग - chhattisgarh news

छत्तीसगढ़ में बसों का संचालन पिछले 6 महीने से बंद होने से संचालक, ड्राइवर और कंडक्टर को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बस संचालक आर्थिक परेशानियों को दूर करने के लिए बसों का किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.

Demand to increase bus fare
बस किराया बढ़ाने की मांग

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Published : Aug 31, 2020, 3:48 PM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ में लगभग 5 महीने से बसों के पहिए थमे हुए हैं. 25 मार्च से पूरे देश में कोविड-19 के बढ़ रहे संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन किया गया था, इस दौरान देश में परिवहन के सभी प्रकार के साधन को बंद कर दिया गया था, जिसमें फ्लाइट, ट्रेन, बसें सभी शामिल थे. जिसके बाद से 12 मई से देश में कुछ ट्रेनें शुरू हो गई और 25 मई से फ्लाइट भी शुरू कर दी गई, लेकिन अभीतक छत्तीसगढ़ में बस सेवा शुरू नहीं हो पाई है. बस से एक जगह से दूसरी जगह जाने का सबसे जरूरी साधन माना जाता है, जिसमें लोग कम खर्च में यात्रा कर सकते हैं. बस बंद होने से बस संचालकों के साथ-साथ ड्राइवर और कंडक्टर को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

बस किराया बढ़ाने की मांग

कई बस संचालकों की हालत इतनी खस्ता है कि, उन्हें अपनी खर्च चलाने और घर चलाने के लिए बसें तक बेचनी पड़ रही है. इस बारे में जब ETV भारत ने बस संचालकों से बात की तो उन्होंने बताया कि पिछले 5 महीनों से बस परिवहन बंद है और इससे उन्हें अपने घर चलाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ-साथ ड्राइवर और कंडक्टर भी खाली बैठे हुए हैं, उन्हें भी बीच-बीच में घर चलाने के लिए कुछ पैसे देने पड़ते हैं. उनका कहना है, उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और सरकार भी बात नहीं सुन रही है. सरकार ने बस चलाने की परमिशन तो दे ही दी है, लेकिन अब भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है. यात्री है नहीं और सरकार द्वारा बसों का किराया बढ़या नहीं जा रहा, जिससे परेशानी हो रही है. सरकार यदि मांगे पूरी कर देती है तो, बस चलाना शुरू कर देंगे और जिससे कुछ आमदनी हो जाएगी.

बस संचालक कर रहे हैं आत्महत्या
निजी बस संचालक अमित मिश्रा ने बताया कि 5 महीने से बस खड़ी है, इससे बहुत नुकसान हो रहा है. एक बस कि सर्विसिंग करवाने और शुरू करने के लिए लगभग 50 हजार तक का खर्चा आ जाएगा. उसमें भी यदि बस चलाने से कमाई नहीं हो पाई तो, बस चलाने का कोई मतलब नहीं रहेगा. पैसा सिर्फ जेब से जाता रहेगा. उन्होंने बताया कि लगातार बस संचालकों को हो रहे नुकसान से मध्य प्रदेश में एक बस संचालक ने आत्महत्या तक कर ली है और यदि यहीं हाल रहा तो यहां भी कई बस संचालक जल्द ही आत्महत्या करने शुरू कर देंगे.

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आमदनी से ज्यादा खर्च

आंकड़े की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में कुल 12 हजार बसें चलती हैं, जिसमें इंटरस्टेट लगभग 3 हजार से ज्यादा बसें चलती हैं और बाहर से छत्तीसगढ़ आने वाले लगभग 1500 बसे हैं. पिछले 5 महीने से रखी हुए 1 बस को फिर से सर्विसिंग कर उसे चलाने में 50 हजार तक का खर्चा आता है. 1 दिन का डीजल का खर्च 2000 और कमाई 3 से 4 हजार हुई तो, उसमें संचालक को आमदनी नहीं मिलेगी. साथ ही ड्राइवर और कंडक्टर को भी पैसा देना मुश्किल हो जाएगा.

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