ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अशोक पाठक ने कहा कि बजट सरकार का आय-व्यय दिखाने का आइना होता है. इसे पारदर्शी होना बेहद जरूरी है. इस बार छत्तीसगढ़ का बजट पूरी तरह से लोकलुभावन दिख रहा है. इस बजट में सभी वर्गों को साधने की कोशिश की गई है. हालांकि प्रदेश के जीडीपी ग्रोथ को लेकर घोषणाओं का अभाव दिख रहा है. इसके साथ ही राजस्व बढ़ाने को लेकर भी बजट में कोई खास प्रावधान नहीं किया गया है. ऐसे में सरकार के सामने राजकोषीय संकट बना रह सकता है.
फूड फॉर ऑल जैसी स्कीम्स को बढ़ाया गया
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार के बजट में 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद में 6.8 की वृद्धि अनुमानित की गई है. इस लिहाज से योजनाओं का पैसा सीधा किसान के खाते में जाए, इसके लिए भी बजट में फोकस किया गया है. खासकर फूड फॉर ऑल जैसी स्कीम को बढ़ाने के लिए प्रत्येक राशन कार्ड पर 35 किलो चावल देने का प्रावधान किया गया है.
इतना ही नहीं किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए 5000 करोड़ का प्रावधान किया गया है. घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली बिल में राहत देने एक बड़ा फैसला भी लिया गया है.