रायपुर: केंद्रीय बजट को लेकर अर्थशास्त्री तपेश गुप्ता का कहना है कि बजट में सबसे ज्यादा अपेक्षा मध्यमवर्गीय परिवारों को थी. लेकिन बजट से मध्यमवर्गीय परिवार को निराशा हाथ लगी है. कोरोना के मद्देनजर सरकार ने सभी वर्गों से सहयोग की अपील की थी. लोगों ने सहयोग भी किया. लेकिन जब बजट की बात आई तब टैक्स स्लैब भी वही रखा. नगद पैसा मिलने वाला था, उसमें भी सरकार ने 4% की कटौती कर दी. नेशनल पेंशन पॉलिसी में स्कीम को 10% से बढ़ाकर 14% कर दिया लेकिन यह बचत के लिए प्रोत्साहन नहीं माना जाएगा बल्कि कर्मचारियों के आय में कटौती होगी. यह सीधे तौर पर सरकारी खजाने में जमा होगा और बाद में ब्याज सहित लोगों को मिलेगा.
पोस्ट ऑफिस और दूसरी चीजों को बैंकीकृत करने की बात कही है. इसे लेकर अर्थशास्त्री का कहना है कि सरकार ने कहा था कि बैंक में करप्शन हो रहे हैं या फिर इंटरनेट घोटाले हो रहे हैं. इसे रोकने के लिए सुरक्षित कदम उठाया जाएगा. अधिकारी और कर्मचारियों को स्टैंडर्ड और स्लैब में कोई छूट नहीं देकर गलत किया है. वेतन और भत्ते में कितनी वृद्धि की यह तो कर मुक्त है.