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Buddha statue: मकान की खुदाई में मिली भगवान बुद्ध की एक हजार साल पुरानी मूर्ति - पुरातत्वविद एवं इतिहासकार

राजधानी रायपुर के पास सोण्डरा में एक मकान की खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध की मूर्ति मिली है. मूर्ति मिलने से पूरे क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है. कोई इसे भगवान शिव तो कोई जैन तीर्थंकर की मूर्ति बता रहा है. हालांकि इतिहासकार ने बनावट के आधार पर इसके कालखंड और भगवान बुद्ध के होने का अनुमान लगाया है. Raipur latest news

Buddha statue
खोदाई के दौरान भगवान बुद्ध की मूर्ति मिली

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Published : Mar 9, 2023, 5:57 PM IST

Updated : Mar 9, 2023, 6:04 PM IST

रायपुर: राजधानी से 20 किलोमीटर दूर औद्योगिक क्षेत्र सोण्डरा में खोदाई के दौरान भगवान बुद्ध की मूर्ति मिली है. मकान निर्माण के दौरान मूर्ति मिलने की बात इलाके में आग की तरह फैल गई. इसे देखने के लिए दूर दराज से भी लोग पहुंच रहे हैं. कोई इसे चमत्कार बता रहा है तो कोई भगवान शिव की मूर्ति बताकर अचरज जता रहा है. इस मूर्ति की पूजा अर्चना भी शुरू हो गई है. रोजाना दूध से अभिषेक किया जा रहा है तो आरती भी की जा रही है.

भाजपा नेता के मकान के नींव की खोदाई में मिली मूर्ति: भगवान बुद्ध की मूर्ति बीते 4 मार्च को धरसीवा के सोण्डरा गांव में भाजपा नेता दिलेन्द्र बंछोर के मकान की नींव खुदाई के दौरान मिली. मूर्ति मिलने की खबर आग की तरह पूरे क्षेत्र में फैल गई और बड़ी संख्या में लोग इसके दर्शन के लिए पहुंचने लगे. भाजपा नेता दिलेन्द्र बंछोर का कहना है कि "वह मकान निर्माण कराने नींव खोद रहे थे, लेकिन भगवान उनके घर प्रकट हुए तो अब भगवान कोई भी हों, भगवान की इच्छा अनुरूप अब भगवान का मंदिर बनाएंगे." दिलेन्द्र बंछोर का पूरा परिवार उनके घर में भगवान के प्रकट होने से बहुत खुश है.

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जैन समाज के लोग भी पहुंचे मूर्ति देखने: रायपुर और सांकरा जैन समाज के लोग भी प्रतिमा के दर्शन को पहुंचे. जैन समाज के लोगों ने बताया कि "यह चतुर्थ कालीन जैन तीर्थंकर प्रतिमा है, क्योंकि प्रतिमा की दृष्टि नाशा है जबकि अन्य भगवान की प्रतिमाओं की दृष्टि सामने की ओर खुली रहती है."

10 वीं शताब्दी के आसपास की है मूर्ति: पुरातत्वविद एवं इतिहासकार डॉक्टर हेमू यदु ने बताया कि "सोण्डरा गांव में मिली भगवान बुद्ध की प्रतिमा 10वीं शताब्दी के आसपास की है. भगवान बुध की यह प्रतिमा बलुआ पत्थर से बनाई गई है, जो कि ध्यान आसन की मुद्रा में है." पुरातत्वविद की माने तो "10वीं शताब्दी के आसपास बौद्ध धर्म का प्रभाव इस क्षेत्र में रहा है. उस जमाने में बौद्ध धर्म का प्रभाव रहने के कारण जमीन के अंदर दबी हुई यह प्रतिमा मिली है. लंबे कान के कारण यह प्रतिमा भगवान बुध की ही प्रतिमा है."

Last Updated : Mar 9, 2023, 6:04 PM IST

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