रायपुर :राजधानी रायपुर के शंकरनगर स्थित अपने निवास में रायपुर दक्षिण विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने प्रेसवार्ता की. इस दौरान उन्होंने सरकार (Brijmohan Agarwal targeted Chhattisgarh government) को घेरा. बृजमोहन ने कहा कि कानून व्यवस्था की स्थिति छत्तीसगढ़ में बद-से-बदतर हो गई है. वहीं पहली बार इतिहास में छत्तीसगढ़ में बजट सत्र छोटा हुआ है, यह संसदीय परंपराओं की हत्या है.
इतिहास में पहली बार छत्तीसगढ़ में बजट सत्र हुआ छोटा
रायपुर दक्षिण विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि विपक्ष तो चाहता है कि लंबे से लंबा सत्र हो. यह पहली बार है मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के इतिहास में कि बजट सत्र को इतना छोटा किया गया है. कांग्रेस प्रश्नों का सामना नहीं करना चाहती छत्तीसगढ़ के विकास के ऊपर, समस्याओं के ऊपर, यह तो संसदीय परंपराओं की हत्या है. बजट के सत्र कम से कम 23 बैठकें होती थीं. आज उसे 13 बैठक कर दिया गया है. हम यह कह सकते हैं कि सरकार चर्चा से भाग रही है.
सरकार के चर्चा से भागने के कारण चर्चा नहीं करवाने से अभी तक इस सरकार के आने के बाद से एक भी सत्र पूरा नहीं हुआ है. सभी सत्र अपनी समय-सीमा से कम में ही समाप्त हो गए. लोकतंत्र में संसदीय परंपराओं को तोड़ना बहुत दुर्भाग्यजनक है. छत्तीसगढ़ की विधानसभा की बहुत गौरवशाली परंपरा रही है. उसकी हत्या करने का काम कोई कर रहा है तो वह कांग्रेस की सरकार कर रही है.
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छत्तीसगढ़ में तीन भागों में बंटी है कांग्रेस
कांग्रेस कितने गुटों में बटी हुई है, सबको मालूम है. टीएस सिंहदेव क्या कर रहे हैं. मोहन मरकाम क्या कर रहे हैं. यह सबको दिख रहा है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर तीन भागों में बटी हुई है. एक राहुल कांग्रेस है. एक सोनिया कांग्रेस है और एक प्रियंका कांग्रेस है. अगर हम कहेंगे तो प्रियंका कांग्रेस का नेतृत्व मोहन मरकाम कर रहे हैं. राहुल कांग्रेस का नेतृत्व टीएस सिंहदेव कर रहे हैं और सोनिया कांग्रेस का नेतृत्व भूपेश बघेल कर रहे हैं.
बृजमोहन बोले इतिहास में पहली बार छोटा हुआ छत्तीसगढ़ का बजट सत्र पूरे छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था की स्थिति बद-से-बदतर पूरे छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था की स्थिति बद-से-बदतर हो गई है. क्योंकि कानून व्यवस्था को देखने वाला जो पुलिस-प्रशासन है, उसमें जो नियुक्तियां हैं उनमें सीनियरिटी के आधार पर नियुक्तियां नहीं हो रही हैं. लेनदेन के आधार पर नियुक्तियां हो रही हैं. थानों की नीलामी हो रही है. बिना पैसे के छत्तीसगढ़ में अब कहीं पर काम नहीं होता है. इसके कारण छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था की स्थिति बद-से-बदतर हो गई है. अब छत्तीसगढ़ का हर आदमी अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहा है.
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