रायगढ़: जिले के मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नए भवन में करोड़ों की लागत से ब्लड कॉम्पोनेंट सेपरेटर मशीन लगाई गई है, जो कई साल बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हो पाई है, जिससे मरीजों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं अधिकारियों की दलील है कि लाइसेंस नहीं मिला, इसलिए मशीन चालू नहीं हो पाई है.
ब्लड सेपरेटर मशीन को नहीं मिला लाइसेंस, मरीजों को हो रही परेशानी - करोड़ों की लागत
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ब्लड सेपरेटर मशीन के चालू नहीं होने से मरीजों को खासा परेसानियों का सामना करना पड़ रहा है.
दरअसल, ब्लड सेपरेटर मशीन खून में शामिल तत्वों को अलग-अलग करती है. इस मशीन की जरुरत थैलेसीमिया और आरबीसी डेंगू के मरीजों को पड़ती है, जिससे ये मशीन RBC, WBC, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा जैसे तत्वों को खून से अलग कर देती है. इससे किसी मरीज को पूरी बोतल खून चढ़ाने की जरुरत नहीं पड़ती, बल्कि जिस तत्व की आवश्यकता होती है, उसे दिया जाता है. ऐसे में एक ही खून से कई लोगों की जान बच जाती है.
सरकार से लाइसेंस मिलने के बाद होगा चालू
पूरे मामले में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सहायक अध्यक्ष हबेल सिंह उरांव का कहना है कि 'ब्लड सेपरेटर मशीन के लिए विभाग और सरकार के बीच बातचीत हो रही है और एक सही निष्कर्ष के बाद ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लगे ब्लड सेपरेटर मशीन को लाइसेंस दिया जाएगा.