रायपुर/बस्तर/सरगुजा: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में आदिवासी बहुल विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने दमदार वापसी की है. बीजेपी ने कुल 17 आदिवासी सीटों पर बंपर जीत दर्ज की है. छत्तीसगढ़ में 29 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं उसमें बीजेपी को 17 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल हुई है. बस्तर संभाग की 12 विधानसभा सीटों में कुल 11 सीटें एसटी सीट है. यहां बीजेपी ने सात सीटों पर जीत दर्ज की है. जबकि सरगुजा संभाग की कुल 14 सीटों में 9 सीटें एसटी सीट है. यहां बीजेपी ने कुल 9 एसटी सीटें जीती है. जबकि एक सामान्य सीट पर बीजेपी का एसटी कैंडिडेट ने जीत दर्ज किया है. इस तरह कुल 17 सीटों पर बीजेपी के एसटी उम्मीदवार जीते हैं
बीजेपी ने किन एसटी सीटों पर जीत की हासिल: बस्तर संभाग की एसटी सीटों पर एक नजर डालते हैं
- बस्तर संभाग की एसटी सीटों का हाल
- बस्तर (एसटी), कांग्रेस के लखेश्वर बघेल जीते
- चित्रकोट (एसटी) बीजेपी के विनायक गोयल जीते
- बीजापुर (एसटी) कांग्रेस के विक्रम मंडावी जीता
- दंतेवाड़ा (एसटी) बीजेपी के चैतराम जीते
- कोंडागांव (एसटी), बीजेपी की लता उसेंडी जीतीं
- केशकाल (एसटी), बीजेपी के नीलकंठ टेकाम जीते
- नारायणपुर (एसटी), बीजेपी के केदार कश्यप जीते
- कोंटा (एसटी), कांग्रेस के कवासी लखमा जीते
- अंतागढ़ (एसटी), बीजेपी के विक्रम उसेंडी जीते
- भानुप्रतापपुर (ST), कांग्रेस की सावित्री मनोज मंडावी जीतीं
- कांकेर (एसटी), बीजेपी के आशा राम नेताम जीते
सरगुजा संभाग की एसटी सीटों का हाल : अब सरगुजा संभाग की एसटी सीटों पर नजर डालते हैं
- रामानुजगंज (ST), बीजेपी के राम विचार नेताम जीते
- सामरी (ST), बीजेपी की उधेश्वरी पैकरा जीतीं
- जशपुर (एसटी), बीजेपी की रायमुनि भगत जीतीं
- कुनकुरी (एसटी), बीजेपी के विष्णुदेव साय जीते
- पत्थलगांव (एसटी), बीजेपी की गोमती साय जीतीं
- भरतपुर-सोनहत (ST), बीजेपी की रेणुका सिंह जीतीं
- प्रतापपुर (एसटी) , बीजेपी की शकुंतला सिंह पोर्ते जीतीं
- लुंड्रा (एसटी), बीजेपी के प्रबोध मिंज जीते
- सीतापुर (एसटी) बीजेपी के रामकुमार टोप्पो जीते
- प्रेमनगर, सामान्य सीट लेकिन बीजेपी के एसटी कैंडिडेट भूलन सिंह मरावी जीते
छत्तीसगढ़ की अन्य एसटी सीटों का रिजल्ट जानिए: एक नजर छत्तीसगढ़ की अन्य एसटी सीटों पर
- डोंडी लोहारा (एसटी), कांग्रेस की अनिला भेंडिया जीतीं
- मरवाही (एसटी), बीजेपी के प्रणव कुमार मरपाची जीते
- सिहावा (ST), कांग्रेस की अंबिका मरकाम जीतीं
- बिंद्रानवागढ़ (एसटी), कांग्रेस के जनक ध्रुव जीते
- पाली-तानाखार (ST),गोंगपा (गोंडवाना गणतंत्र पार्टी) के तुलेश्वर हीरा सिंह मरकाम जीते
- रामपुर (एसटी), कांग्रेस के फूलसिंह राठिया जीते
- धरमजयगढ़ (एसटी), कांग्रेस के लालजीत सिंह राठिया जीते
- लैलूंगा (एसटी), कांग्रेस की विद्यावती सिदार जीतीं
- मोहला-मानपुर (ST), कांग्रेस के इंद्रशाह मंडावी जीते
छत्तीसगढ़ में बीजेपी की परिवर्तन यात्रा का असर: आदिवासी सीटों पर बीजेपी को परिवर्तन यात्रा का लाभ मिला. इन इलाकों में बीजेपी ने दो दो परिवर्तन यात्राएं की. बीजेपी की पहली यात्रा की शुरुआत दंतेवाड़ा से हुई. दूसरी परिवर्तन यात्रा की शुरुआत बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जशपुर से की थी.चुनाव विशेषज्ञों के मुताबिक, आदिवासी इलाकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा की सार्वजनिक रैलियां, आदिवासी इलाकों से पार्टी की दो परिवर्तन यात्राओं की शुरुआत और चुनाव पूर्व वादों बीजेपी के लिए काम किया और बाजी पलट दी.
"बीजेपी ने पहली परिवर्तन यात्रा आदिवासी बहुल दंतेवाड़ा जिले से निकाली. उसके बाद बीजेपी आदिवासी इलाकों में गई. भाजपा ने तेंदू पत्ता संग्राहकों, जो मुख्य रूप से आदिवासी हैं, को 4,500 रुपये तक वार्षिक बोनस के साथ 5,500 रुपये प्रति मानक बोरा पर तेंदू पत्ता खरीदने का वादा किया.कांग्रेस ने भी तेंदू पत्ता संग्राहकों को 4,000 रुपये के वार्षिक बोनस के साथ 6,000 रुपये प्रति मानक बोरा देने का समान वादा किया था.प्रत्येक लघु वन उपज की खरीद पर प्रति किलोग्राम 10 रुपये अतिरिक्त देने का भी वादा किया गया.कांग्रेस ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदे जाने वाले लघु वनोपजों की संख्या सात से बढ़ाकर 63 कर दी, लेकिन इसके बावजूद वह आदिवासियों का समर्थन नहीं जीत सकी.": आर कृष्ण दास, राजनीतिक विश्लेषक
बस्तर में क्यों हारी कांग्रेस: वरिष्ठ पत्रकार संजीव पचौरी ने ईटीवी से बातचीत में कांग्रेस की हार पर चर्चा की है. उन्होंने कहा कि बस्तर में लगातार कांग्रेस के अंदर अंसतोष बना रहा. जिसको कांग्रेस पार्टी समझ नहीं पाई. छत्तीसगढ़ में 18 लाख पीएम आवास योजना का लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल पाया. जिसकी वजह से करीब 72 लाख वोट प्रभावित हुए. इसके अलावा लगातार हो रहे घोटाले कांग्रेस के लिए परेशानी का कारण बने. इस परीक्षा से जुड़े करीब 10 लाख छात्र ऐसे हैं जिनकी भूमिका कांग्रेस सरकार को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका रही. क्योंकि छात्रों को लगा कि इस सरकार के हांथो उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है. जो पीएससी परीक्षा की बात सामने आई है. हर एक लोगों के हाथों में मोबाइल फोन है. सोशल मीडिया के माध्यम से बातें तेजी से फैल जाती है. तीसरा बड़ा कारण किसानों की कर्ज माफी से जुड़ा है. सरकार कैसे किसानों का कर्जा माफ करेगी इसका प्रारूप पहले जारी नहीं किया था. जो किसान कर्ज लेकर किसानी करते हैं उनका कर्ज माफ हुआ. चौथा सबसे बड़ा कारण किसानों की फसल की खराबी के बीमा का था. बीमा के जरिये किसानों को पैसा मिलना था. जो केंद्र की योजना थी, ना कभी किसानों का सर्वे हुआ और ना ही किसानों को इसका लाभ मिला.
बस्तर और सरगुजा में कांग्रेस में दिखा भीतरघात: वरिष्ठ पत्रकार संजीव पचौरी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में भीतरघात का भी एक मामला बड़ा असर कांग्रेस की हार पर डाला है. करीब 22 विधायकों का टिकट कांग्रेस पार्टी ने काट दिया. नए चेहरे को टिकट दिया था. जिन में करीब 12 से 13 दावेदार हार गए. जो विधायक 27000 वोटों से जीत कर आए हुए थे उनका भी टिकट कांग्रेस पार्टी ने काटा था. जिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कांग्रेसी नेता और उनकी टीम पूरी तरह से जमीन पर काम करते नहीं दिखे. भले ही उन्होंने पार्टी के लिए किसी प्रकार का कोई गड्ढा नहीं खोदा. इसके अलावा अंबिकापुर से टीएस सिंहदेव, चित्रकोट विधानसभा से दीपक बैज, ताम्रध्वज साहू और चरण दास महंत इन चार नेताओं को हराने के लिए कांग्रेस के नेताओं ने ही जोर लगा दिया. यह बात इस समय पूरी तरह से फैल रही है और कहीं ना कहीं इस बात पर कुछ ना कुछ तथ्य जरूर है. क्योंकि लोगों को लगा कि यह आने वाले दिनों में रोड़ा बन सकते हैं और मुख्यमंत्री के भी दावेदार बन सकते हैं. अब हार के बाद कांग्रेस पार्टी को विश्लेषण करने की आवश्यकता है कि क्या कांग्रेस पार्टी में अनुशासन खत्म हो गया है