रायपुर : भाजपा प्रदेश सहकारिता प्रकोष्ठ ने सूरजपुर के केरता में स्थित मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना में गड़बड़ी का आरोप लगाया है.भाजपा के मुताबिक अधिकारियों की घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण 12 करोड़ 36 लाख 38 हजार कीमत की शक्कर की कमी पाई गई है. सहकारिता प्रमुख देवजी भाई पटेल ने बताया कि ''मां महामाया शक्कर कारखाने में लगातार शक्कर स्टॉक में कमी आने संबंधी शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए छत्तीसगढ़ शासन सहकारिता मंत्रालय ने जांच दल का गठन किया. लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.आदेश के परिपालन में जांच दल ने उस शक्कर कारखाने की जांच कर प्रतिवेदन सौंपा गया जो चौंकाने वाला है.''
रिकॉर्ड में हेरफेर का आरोप :भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक "शशिकांत द्विवेदी ने बताया कि '' शक्कर कारखाने के गोदामों में शक्कर के भौतिक सत्यापन में जांच दल ने कई कमियां पाई है. कारखाने में शक्कर की बोरियों की स्टैकिंग वैज्ञानिक तरीके से नहीं की गई. कारखाने के रजिस्टर में 28 अप्रैल 2021 को अचानक 2320 मीट्रिक टन मोलासेस(शीरा) का अतिरिक्त स्टॉक दर्शाया गया जो एक दिन में हो पाना संभव नहीं है. जबकि कारखाने के दस्तावेज के अनुसार दिनांक 22 मार्च 21 के पश्चात मोलासिस का उत्पादन रुकना दिखाया गया है. कारखाने के दस्तावेजों के आधार पर ही रिकॉर्डेड मोलासिस की मात्रा में भौतिक सत्यापन में 1641मीट्रिक टन मोलासिस अधिक पाई गई.''
उत्पादन और रिपोर्ट में भारी अंतर : शशिकांत ने कहा कि '' मोलासिस के संबंध में भारत सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट और दी गई जानकारी में कारखाने के उत्पादन में भारी अंतर है. इसी प्रकार पीपी बैग की जानकारी जो दी गई वह भ्रामक है. इससे यह स्पष्ट होता है कि कारखाने में दस्तावेजों के संधारण में फेरफार ,गड़बड़ी और लापरवाही बरती गई है. जिसके कारण बारदाना खरीदी के दस्तावेजों के संधारण में अनियमितता हुई है."
शशिकांत ने आगे कहा कि" कंप्यूटरीकृत संचालन के लिए ईआरपी सॉफ्टवेयर लगाया गया है. उक्त सॉफ्टवेयर के माध्यम से निकलने वाली रिपोर्ट के आधार पर औचक निरीक्षण कर स्कंध के सत्यापन की कार्रवाई का विकल्प प्रबंधन के मुखिया के पास उपलब्ध था.लेकिन ऐसी कार्रवाई किया जाना नहीं पाया गया. इस प्रकार कारखाने में कुल राशि 12करोड़ 36 लाख 38 हज़ार कीमत की शक्कर की कमी पाई गई.''