रायपुर: 17 दिसंबर को छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार के 2 साल पूरे होने जा रहे हैं. कांग्रेस का दावा है कि 2 साल के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ सरकार ने विकास के कई काम किए हैं. जन योजनाओं का व्यापक स्तर पर संचालन किया गया है. विकास कार्यों का लाभ जनता को मिल रहा है. भाजपा ने कांग्रेस सरकार के 2 सालों को सबसे बड़ी असफलता बताया है. भाजपा ने वादाखिलाफी का आरोप भी लगाया है.
विपक्ष का आरोप, सरकार का जवाब
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ऐसे कई लोक-लुभावने वादे किए थे, जिसका फायदा उसे चुनाव में मिला और जनता ने कांग्रेस को कुर्सी सौंपी. पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई, लेकिन सत्ता पर काबिज होने के 2 साल बाद भी ऐसे कई वादे हैं, जिसे अब तक सरकार पूरा नहीं कर सकी है. विपक्ष इन वादों को लेकर कांग्रेस सरकार को घेरते नजर आ रहा है.
कब होगी शराबबंदी?
भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी की बात कही थी, लेकिन सत्ता पर काबिज होने के 2 साल बाद भी अबतक कांग्रेस सरकार शराबबंदी को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी है. इसके उलट प्रदेश में शराब की खपत तेजी से बढ़ी है. बीजेपी का कहना है कि शराबबंदी के वादे के कारण प्रदेश की महिलाओं ने कांग्रेस पर भरोसा जताया था और उन्हें चुनाव में जीत दिलाई. सत्ता पर काबिज होने के बाद कांग्रेस सरकार ने शराबबंदी को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. शराब अब लोगों को घर बैठे उपलब्ध कराई जा रही है.
कब मिलेगा बेरोजगारी भत्ता?
भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने चुनाव के पहले बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद अबतक सरकार ने बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया. सरकार ने रोजगार के पर्याप्त अवसर भी मुहैया नहीं कराए.
किसानों को इंतजार...
विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों से समर्थन मूल्य पर 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी का वादा किया था. किसानों को किया गया यह वादा कहीं न कहीं कांग्रेस के लिए मील का पत्थर साबित हुआ और कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में एकतरफा जीत हासिल की, लेकिन सत्ता पर काबिज होने के 2 साल बाद भी अबतक सरकार ने किसानों को धान का समर्थन मूल्य नहीं दे सकी है. हालांकि सरकार राजीव गांधी न्याय योजना के तहत धान के समर्थन मूल्य के अंतर की राशि दी जा रही है, जिसकी चौथी किश्त का अब भी किसानों को इंतजार है.
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