रायपुर:रायपुर में गुरुवार को जगन्नाथ पुरी के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने धर्म सभा को संबोधित किया. जिसके बाद शुक्रवार को पत्रकार वार्ता के दौरान जगन्नाथपुरी के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने धर्म और राजनीति से जुड़े सवालों के जवाब दिए. उन्होंने कहा कि धर्म की सीमा का अतिक्रमण कर राजनीति नहीं की जा सकती(Big statement of Swami Nischalanand Saraswati on politics)
मंदिरों में साईं बाबा को मुख्य स्थान देने को बताया गलत:जगन्नाथ पुरी के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, "साईं बाबा के मंदिरों में देवी देवताओं की प्रतिमाओं को किनारे कर के साईं बाबा को मुख्य स्थान देना गलत है. साईं बाबा के नाम पर मंदिरों से देवी देवताओं को हटाना गलत है. कोई किसी भी उम्र में पैदा हुआ हो, उसके कुल की जानकारी देनी चाहिए. इसे छुपाने से कोई मतलब नहीं यह भक्तों के साथ धोखा है."
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का बड़ा बयान नूपुर शर्मा विवाद में शंकराचार्य ने कहा:नूपुर शर्मा के बारे में पूछे गए सवाल के बारे में स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, "हम सहमत नहीं है उन्होंने विवाद को लेकर कहा कब किसी को क्या कहना चाहिए. यह समझदारी होनी चाहिए. उन्होंने कहा यदि द्रौपदी ने दुर्योधन को अंधे का बेटा अंधा ना कहा होता तो शायद महाभारत ना होता. लेकिन उनके इस एक शब्द के कारण महाभारत की पटकथा लिख गई. इसी संदर्भ को उन्होंने नूपुर शर्मा के विवाद से जुड़ा. लेकिन इसके बाद उन्होंने हंसते हुए यह भी कह दिया कि शायद इस युग में महाभारत की जरूरत हो."
शंकराचार्य मठ में लाउडस्पीकर पर नहीं चलाते कैसेट: पूरे देश में चल रहे लाउडस्पीकर विवाद पर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, "उनके पुरी के मठ में कभी कैसेट पर कोई भजन लाउडस्पीकर पर नहीं बजता. उन्होंने यह आदेश दिया हुआ है कि जब भी वे मठ में न हो. वहां कैसेट पर कोई भजन ना बजाएं. वहां पर माइक का उपयोग तभी किया जाए. जब वे मठ में हो और उन्हें कोई पूजा पाठ करनी हो या उपदेश देना हो."
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राजनीति का दूसरा नाम राजधर्म है: उन्होंने कहा, "उन्माद का नाम सत्ता भोग का नाम फूट डालो राज करो की कूटनीति का नाम राजनीति नहीं है. राजनीति का अर्थ होता है. नीतियों में सर्वोत्कृष्ट जिसके द्वारा व्यक्ति और समाज को सुबुद्ध वास्तु संस्कृत बनाया जा सके. उन्माद अदूरदर्शिता का नाम राजनीति नहीं है. महाभारत मत्स्य पुराण अग्नि पुराण आदि में कहा गया है कि राजनीति का दूसरा नाम राजधर्म है. नीति और धर्म पर्यायवाची शब्द है."
शंकराचार्य का आशीर्वाद लेने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और मंत्री कवासी लखमा: प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और प्रदेश के उद्योग एवं आबकारी मंत्री स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे. जब मंत्री कवासी लखमा आशीर्वाद लेकर बाहर निकल रहे थे तो उनको वापस बुलाया गया. इसके बाद शंकराचार्य के साथ मौजूद प्रमुख आचार्य ने मंत्री कवासी लखमा से कहा कि शंकराचार्य जी बस्तर क्षेत्र में एक भव्य कार्यक्रम कराना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने एक प्रारूप बनाने का भी निवेदन किया.