रायपुर: भूपेश सरकार कई विभागों और उपक्रमों में कटौती करने पर विचार कर ही है. इसी कड़ी में सरकार निगम, मंडल और आयोग की संख्या कम करने की तैयारी में है. इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने एक पत्र भी जारी किया है.
बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान किसान कर्जमाफी, बिजली बिल हाफ सहित अन्य घोषणाओं को पूरा करने में कांग्रेस सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है और यही कारण है कि अब कांग्रेस इस आर्थिक बोझ को कम करने विभिन्न विभागों और उपक्रमों में कटौती करने की तैयारी कर रही है.
इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने एक पत्र भी जारी किया है, जिसमें शासन ने सभी विभाग के अपर मुख्य सचिव और विशेष सचिव को पत्र लिखा है कि शासन के विभिन्न विभागों के अधीन गठित निगम, मंडल की स्थापना की जानकारी भेजें.
उपयोगिता पर विचार
बता दें कि पिछली सरकार ने 56 निगम मंडल और आयोगों का गठन किया था और वर्तमान सरकार इन निगम, मंडल के औचित्य और उपयोगिता पर विचार कर रही है.
संबंधित जानकारी मांगी गई
हालांकि के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि सभी विभागों के निगम, मंडल और आयोग से संबंधित जानकारी मांगी गई है और आचार संहिता खत्म होने के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा. जानकारी के अनुसार निगम, मंडल और आयोग पर हर साल 250 से 300 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं. ज्यादातर निगम, मंडल और आयोग का खर्च सरकार को ही वहन करना पड़ता है. कुछ ही निगम, मंडल और आयोग हैं जो अपने खर्च खुद ही निकाल पाते हैं.
इन्हें मिलती है प्राथमिकता
इन निगम, मंडल और आयोग में विधायक को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि जो विधायक मंत्री नहीं बन पाते हैं और नाराज हो जाते हैं, उन्हें संतुष्ट करने के लिए पार्टी निगम, मंडल और आयोग में जगह देती है, लेकिन अब सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम कहीं न कहीं पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकती है क्योंकि इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 68 विधायक जीत कर आए हैं, जिन्हें पार्टी को संतुष्ट करना है.